Ballia: ददरी मेले में क्यों आयोजित होती है 'चेतक प्रतियोगिता', कैसे पड़ा ये नाम? जानते हैं इसके पीछे की रोचक कहानी
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Ballia: ददरी मेले में क्यों आयोजित होती है 'चेतक प्रतियोगिता', कैसे पड़ा ये नाम? जानते हैं इसके पीछे की रोचक कहानी
चेतक प्रतियोगिता
बलिया: जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बलिया में ऐतिहासिक और पौराणिक भृगु मुनि के द्वारा शुरू किया गया ददरी मेला लग चुका है. इसकी सुंदरता देखते ही बन रही है. बड़ी संख्या में लोग इस मेले में शामिल हो रहे हैं. ददरी मेले के इतिहास को लेकर तो आपने अभी तक बहुत कुछ सुना और देखा होगा लेकिन, आज हम बात करेंगे ददरी मेले के चेतक प्रतियोगिता की. इसके नामकरण की कहानी बड़ी रोचक और ऐतिहासिक है. यह वही प्रतियोगिता है जिसका नामकरण इसी मेले में हुआ था. इसका समर्थन न केवल मंच पर बैठे महान कवि बल्कि, जनता ने भी खूब किया था. ये भी जान लें कि ददरी मेले का नामकरण मुनि के प्रिय शिष्य ददरी के नाम पर किया गया था.
ऐसा हुआ नामकरण
इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि, “हल्दीघाटी के रचनाकार श्यामनारायण पाण्डेय के काव्य पाठ से ददरी के घुड़दौड का नामकरण हुआ”. सन 1952 ईस्वी में ददरी मेले के भारतेन्दु मंच पर वीर रस कवि कुल के शलाका पुरुष श्यामनारायण पाण्डेय ने खुद की पुस्तक हल्दी घाटी से महाराणा प्रताप के चेतक घोड़े पर दो काव्य पाठ वीर रस सुनाए. ये काव्य वहां बैठे सभी श्रोताओं को इस कदर पसंद आए थे कि बाद में ये एक प्रतियोगिता के नामकरण की मुख्य वजह बने.
वीर रस से प्रभावित हुए अध्यक्ष तो रख दिया प्रतियोगिता का ये नाम
इस कविता में चेतक के शौर्य और बहादुरी के बारे में बताया गया था. इस बखान को सुनकर वहां बैठे सभी लोग बहुत प्रभावित हुए. इस काव्य पाठ के बाद तत्कालीन चेयरमैन स्व. मुरलीमनोहर लाल ने मंच से घोषणा कर दी कि ददरी मेले की घुड़दौड का नाम आज से चेतक प्रतियोगिता होगा. मंचासीन कवियों सहित उपस्थित विपुल काव्य प्रेमियों और श्रोताओं ने अपनी करतल ध्वनि से इसका समर्थन और खूब स्वागत किया. इस कविता पाठ के बाद ही ददरी मेले में होने वाली घुड़दौड प्रतियोगिता का नाम चेतक प्रतियोगिता पड़ा.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 14:17 IST