क्या है 'ऑपरेशन सागर मंथन'
- इस साल की शुरुआत में एनसीबी, भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक बल और एटीएस गुजरात पुलिस के खुफिया विंग की एक टीम बनाकर 'ऑपरेशन सागर' मंथन शुरू किया था.
- इस अभियान का लक्ष्य अवैध ड्रग्स की समुद्री तस्करी को रोकना और राष्ट्रीय सुरक्षा को होने वाले खतरे का मुकाबला करना है.
- 'ऑपरेशन सागर मंथन' एनसीबी ने भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के साथ समन्वय करके इस तरह के समुद्री अभियानों की एक श्रृंखला शुरू की है.
- नोरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने ऑपरेशन सागर मंथन के तहत ड्रग्स की बड़ी खेप जब्त की है.
- 'ऑपरेशन सागर मंथन' के तहत अब तक लगभग 3,400 किलोग्राम नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ जब्त किए गए हैं.
- तीन मामलों में 11 ईरानी नागरिकों और 14 पाकिस्तानी नागरिकों को जेल भेजा गया है.
'रक्तबीज' क्यों सलीम
- भारत में ड्रग्स तस्करी का 'रक्तबीज' पाकिस्तानी हाजी सलीम उर्फ सलीम बलोच है.
- कई ऑपरेशन के बाद भी काबू न आने पर 'रक्तबीच' नाम पड़ा.
- भारत में समंदर के रास्ते 70% ड्रग्स तस्करी के पीछे हाजी सलीम है.
- पाकिस्तान में हाजी सलीम का दाऊद इब्राहिम के साथ भी कनेक्शन है.
- साल 2015 में पहली बार हाजी सलीम का नाम सामने आया था.
- केरल में तब उसकी ड्रग्स की एक बड़ी खेप पकड़ में आई थी.
दाऊद का पड़ोसी 'रक्तबीज'
हाजी सलीम का ठिकाना पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बताया जाता है. सूत्रों के मुताबिक- हाजी पाक में दाऊद इब्राहिम का पड़ोसी है. अक्सर वो दाऊद इब्राहिम के घर आता-जाता रहता है. यहीं से ही वो भारत समेत पूरे एशिया में समुद्री ड्रग्स सिंडिकेट चला रहा है.
कहां-कहां है नेटवर्क
- हाजी सलीम आज के समय में समंदर से ड्रग्स तस्करी का शहंशाह है. भारत के साथ मॉरिशस, श्रीलंका, मालदीव, अमेरिका, न्यू जीलैंड तक उसका सिंडिकेट फैला है.
- भारत के साथ अमेरिका, न्यू जीलैंड, अफगानिस्तान की एजेंसियो को भी हाजी सलीम की तलाश है. एशिया के साथ-साथ अफ्रीका और पश्चिम देशों तक इसकी सप्लाई चेन है.
कैसा दिखता है 'रक्तबीच'
भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास हाजी सलीम के बारे में बहुत कम जानकारी है. उसकी बस एक पुरानी तस्वीर ही मौजूद है, निजी जानकारी बहुत कम हैं. बलूचिस्तान के बेरोजगार युवाओं को उसने अपने नेटवर्क का हिस्सा बनाया है. पाक की खुफिया एजेंसी ISI उसके नेटवर्क को मजबूत करने में पूरी मदद करती है.
रक्तबीज का 'कोड'
- हाजी सलीम अपनी खेप अनूठे कोडवर्ड के साथ समंदर के रास्ते भिजवाता है. भेजे गए पार्सल पर 777, 555, 999, उड़ता घोड़ा, बिच्छू जैसे कोडवर्ड होते हैं.
- जानकारी के अनुसार खेप को ईरान में तैयार किया जाता है. फिर मलयेशिया, अफगानिस्तान, श्रीलंका पहुंचाया जाता है. छोटी नावों के जरिए फिर इसे केरल, गुजरात जैसे भारत के तटवर्ती शहरों में भेजा जाता है.
700 किलोग्राम ‘मेथामफेटामाइन' खेप जब्त
कुछ दिन पहले ही गुजरात के तट पर NCB ने खुफिया सूचनाओं के आधार पर 'सागर मंथन - 4' अभियान के जरिए एक जहाज को पकड़ा था और 700 किलोग्राम ‘मेथामफेटामाइन' की बड़ी खेप जब्त की गई थी. इस अभियान के दौरान आठ विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने खुद को ईरानी बताया था. इस अभियान को एनसीबी, नौसेना और गुजरात पुलिस के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया था.
इस तरह से पकड़ा
सुरक्षा एजेंसियों को एक विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली थी. जिसमें बताया गया था कि एक अपंजीकृत जहाज भारतीय जल सीमा में प्रवेश करेगा. इस जहाज पर नारकोटिक ड्रग्स या साइकोट्रोपिक पदार्थों के होने का खुफिया इनपुट था. इसके उपरांत 'सागर मंथन -4' कोड नाम वाला ऑपरेशन शुरू किया गया. यहां तैनात भारतीय नौसेना के समुद्री गश्ती दलों द्वारा जहाज की पहचान की गई और उसे रोका गया.
एनसीबी के मुताबिक, पूरे देश में जितनी भी ड्रग्स की बड़ी खेप पकड़ी जा रही है, उनके पीछे ड्रग्स तस्कर हाजी सलीम का ही हाथ है. गुजरात तट से पकड़े गए ड्रग्स पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की शह पर हाजी सलीम ने भारत में भेजे थे. सूत्रों के मुताबिक हाजी ड्रग्स तस्करी का पैसा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को पहुंचाता है. उसे पाकिस्तान में कड़ी सुरक्षा मिली हुआ है. हाजी सलीम के ड्रग्स के पैकेट पर कोड वर्ड होते हैं.