दुर्गा सप्तशती के पाठ से मिलता है चमत्कारिक फल, जानें पढ़ने के फायदे

4 days ago 2

durga saptashati: दुर्गा सप्तशती देवी की उपासना के लिए सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ माना गया है. इसमें देवी की उपासना के सात सौ श्लोक दिए गए हैं. ये सात सौ श्लोक तीन भागों में बांटे गए हैं- प्रथम चरित्र, मध्यम चरित्र और उत्तम चरित्र. प्रथम चरित्र में केवल पहला अध्याय, मध्यम चरित्र में दूसरा, तीसरा, चौथा और शेष सभी अध्याय उत्तम चरित्र में रखे गए हैं. इन सात सौ श्लोकों में मारण, मोहन, उच्चाटन के और स्तम्भन और वशीकरण और विद्वेषण के श्लोक दिए गए हैं. दुर्गा सप्तशती के प्रत्येक अध्याय का पाठ करने से अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं. आइये विस्तार से जानते हैं कि किस अध्याय का सुमिरन या पाठ करने से क्या फल मिलता है?

दुर्गा सप्तशती के अलग-अलग अध्याय का महत्व :

प्रथम अध्याय:

1. इसके पाठ से समस्त चिंतायें दूर होती हैं.
2. इससे शत्रु भय दूर होता है और शत्रुओं की बाधा शांत होती है

यह भी पढ़ें: Mobile Number Numerology: अगर आपके मोबाइल नंबर में मौजूद है ये अंक, तो कर सकता कंगाल, जीवनसाथी रहेगा ​बीमार!

द्वितीय और तृतीय अध्याय:

1. इसके पाठ से मुकदमेबाजी में सफलता मिलती है.
2. साथ ही झूठे आरोपों से मुक्ति मिल सकती है.

चतुर्थ अध्याय:

1. इसके पाठ से अच्छे जीवन साथी की प्राप्ति होती है.
2. इससे देवी की भक्ति भी प्राप्त होती है.

पंचम अध्याय:

1. इसके पाठ से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है.
2. इससे भय, बुरे सपने और तंत्र मंत्र की बाधा का नाश होता है.

छठा अध्याय:

1. इसके पाठ से बड़ी से बड़ी बाधा का नाश किया जा सकता है.

Extramarital Affair: ऐसे लोग ​शादी के बाद पार्टनर को देते हैं धोखा, दूसरे से बनाते संबंध, ग्रहों का ये खेल बनाता धोखेबाज

सप्तम अध्याय:

1. इसके पाठ से विशेष गुप्त कामनाओं की पूर्ति होती है.

अष्टम अध्याय:

1. इसके पाठ से वशीकरण की शक्ति मिलती है.
2. साथ ही साथ नियमित रूप से धन लाभ होता है.

नवम अध्याय:

1. इसके पाठ से संपत्ति का लाभ होता है.
2. साथ ही साथ खोये हुए व्यक्ति का पता मिलता है.

दसवां अध्याय:

1.  इसके पाठ से भी गुमशुदा की तलाश होती है.
2. अपूर्व शक्ति और संतान सुख की प्राप्ति होती है.

ग्यारहवां अध्याय:

1. इसके पाठ से हर तरह की चिंता दूर हो जाती है.
2. इससे व्यापार में खूब सफलता भी मिलती है.

बारहवां अध्याय:

1. इसके पाठ से रोगों से छुटकारा मिलता है.
2. साथ ही नाम यश और मान सम्मान की प्राप्ति होती है.

तेरहवां अध्याय:

1. इसके पाठ से देवी की कृपा और भक्ति की प्राप्ति होती है.
2. साथ ही व्यक्ति की हर तरह के संकट से रक्षा होती है.

Tags: Dharma Aastha, Religion

FIRST PUBLISHED :

November 19, 2024, 17:13 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article