दो शुभ योग में मनाई जाएगी काल भैरव जयंती, नोट कर लें सही डेट और शुभ मुहूर्त

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उज्जैन काल भैरव 

Ujjain News: हिंदू धर्म में कालाष्टमी बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है. इस दिन भगवान शिव और काल भैरव की पूजा करने का विधान है ...अधिक पढ़ें

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उज्जैन. हिन्दू धर्म मे हर तिथि का अलग महत्व है. मार्गशीर्ष मास में कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार पड़ते हैं. इन्हीं त्योहारों में से एक है काल भैरव जयंती. हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर काल भैरव जयंती मनाई जाती है. काल भैरव जयंती का दूसरा नाम कालाष्टमी है. भगवान शिव का क्रोधित या रुद्र रूप अवतार हैं बाबा काल भैरव. भैरव का अर्थ है. भय का हरण करने वाले, धार्मिक मान्यता है कि भगवान कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है. ऐसे में चलिए जानते है उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से कि नवंबर में काल भैरव जयंती कब है और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है.

कब मनाई जाएगी काल भैरव जयंती
वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन काल भैरव जयंती मनाई जाती है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम 6 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 23 नवंबर 2024 को रात 7 बजकर 56 पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में 22 नवंबर, शुक्रवार को काल भैरव जयंती है.

कई शुभ योग मे मनाई जाएगी जयंती 

कालास्टमी के दिन ब्रह्म योग के साथ ही इंद्र योग का निर्माण होगा. इसके अलावा, रवि योग भी बनेगा. इन योग में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी.

उज्जैन के मंदिर का है विशेष महत्व
भगवान कालभैरव का मंदिर क्षिप्रा नदी के किनारे भैरवगढ़ क्षेत्र में स्थित है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां भगवान काल भैरव की प्रतिमा को शराब का भोग लगाया जाता है और काल भैरव स्वयं शराब ग्रहण करते हैं. पुजारी द्वारा शराब का प्याला काल भैरव के मुख से लगाया जाता है. यह शराब पल भर में गायब हो जाती है. यह चमत्कार देखने लोग देश विदेश से आते हैं

स्कंद पुराण के अवंतिखंड में उल्‍लेख
उज्जैन में काल भैरव के दर्शन का का विशेष महत्तव है. इसका उल्लेख स्कंद पुराण के अवंतीखंड में मिलता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, अष्ट महाभैरव में काल भैरव, विक्रांत भैरव, सीता विराजमान भैरव, अटल पाताल भैरव, आनंद भैरव, बटुक भैरव, दंड पाणि भैरव आदि का उल्लेख किया गया है.उनकी स्वीकृत यात्रा एवं व्रत उपवास करने से इच्छित मनोरथ की प्राप्ति होती है.

Editor- Anuj Singh

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FIRST PUBLISHED :

November 18, 2024, 12:24 IST

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