महाकाल सवारी
शुभम मरमट / उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में मार्गशीर्ष माह की पहली व कार्तिक- मार्गशीर्ष (अगहन) माह की तीसरी सवारी सोमवार 18 नवम्बर को सायं 4 बजे निकाली गईं. सावन-भादो की तरह कार्तिक अगहन मास के साथ मार्गशीर्ष (अगहन) मे भी बाबा महाकाल की सवारी निकलने की परंपरा रही है.
मार्गशीर्ष पक्ष के पहले सोमवार को पहली सवारी को सभामंडप में शाम 4 बजे विधिवत पूजन-अर्चन के बाद राजसी ठाट-बाट के साथ निकाला गया. अस्टविनायक मंदिर के पुजारी चमु गुरु ने कहा कि आज बाबा ने भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर रजत पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर प्रजा का हॉल जानने नगर भ्रमण पर मंदिर परिसर से निकले है.
पहली सवारी को निकली सभामंडप में शाम 4 बजे
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री गणेश कुमार धाकड़ ने कहा कि पालकी को मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान को सलामी (गॉड ऑफ ऑनर) दिया गया. सवारी परंपरानुसार एवं पूर्ण गरिमामय तरीके से निकाली गईं. सवारी में आगे तोपची, कडाबीन, पुलिस बैण्ड घुडसवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान नगर वासियों को बाबा के आगमन की सूचना देते चलते हुए दिखाई दिए.
जानिए किन मार्गो से गुजरी सवारी
बाबा महकाल की सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर से शुरू होकर महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होते रामघाट पहुंची.वहॉ क्षिप्रा के जल से भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर का अभिषेक उपरांत सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार, होते हुए पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर लोटेगी.
मराठा समय की परंपरा का आज भी प्रभाव
महाकाल मंदिर में मराठा परंपरा का विशेष तौर पर प्रभाव है. महाराष्ट्रीय परंपरा में शुक्ल पक्ष से माह का शुभारंभ माना जाता है. कार्तिक-अगहन मास में भी महाकाल की सवारी कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार से शुरू होती है. इसी वजह से आज अगहन मास की पहली सवारी निकाली गई.
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FIRST PUBLISHED :
November 18, 2024, 17:41 IST