नई दिल्ली. टैक्स बचाने के लिए हर आदमी कोशिश करता है. भारतीय आयकर अधिनियम में भी उन तरीको का वर्णन किया गया है, जिनका इस्तेमाल कर आप टैक्स बचत कर सकते हैं. लेकिन, टैक्स बचत के विकल्पों का इस्तेमाल करने से पहले इनके बारे में अच्छी तरह जान लेना ही बेहतर होता है, क्योंकि इनमें काफी किंतु-परंतु जुड़े होते हैं. अपने प्रियजनों को दिए जाने वाले उपहार पर टैक्स छूट मिलती है. यही वजह है कि बहुत से लोग अपनी पत्नी को गिफ्ट देते हैं. लेकिन, इसमें एक झोल यह है कि आपके गिफ्ट में मिले पैसे के निवेश से हुई आय आपकी इनकम से जुड़ जाएगी. तो फिर ऐसे में टैक्स बचाने का क्या रास्ता रहता है?
टैक्स बचाने का एक शानदार विकल्प है. वो है बिना ब्याज लोन देना. इसलिए अगर आप भी अपनी पत्नी को कहीं इनवेस्ट करने, जैसे की बेटे या बेटी के नाम पर कहीं निवेश करने को पैसा देना चाहते हैं तो आप उसे इसे बिना ब्याज ऋण के रूप में दीजिए. ऐसा करने पर आयकर अधिनियम की धारा 64 में वर्णित क्लबिंग का नियम आप पर लागू नहीं होगा. आपके द्वारा पत्नी को ऋण के रूप में दिए पैसे के निवेश से हुई आय को आपकी पत्नी अपनी आयकर रिटर्न में दर्शा सकती हैं. इस तरह वह आपकी आय में नहीं जुड़ेगी.
गिफ्ट पर लागू होगा क्लबिंग का नियम
भारतीय आयकर अधिनियम के अनुसार, गिफ्ट टैक्स फ्री होता है. लेकिन, अगर आप गिफ्ट में मिले पैसे को कहीं इनवेस्ट करते हैं और उससे जो कमाई होती है तो उस पर क्लबिंग का नियम लागू हो जाता है, जिसका वर्णन आयकर अधिनियम की धारा 64 में किया गया है. क्लबिंग का नियम लागू होने पर गिफ्ट रकम के निवेश से हुई कमाई, गिफ्ट देने वाली की आय में भी जुड़ जाती है.
उदाहरण के लिए लोकेश ने अपनी पत्नी को 6,00,000 रुपये उपहार में दिए. श्रीमति लोकेश ने फिर उसी राशि की एफडी करा दी. इस एफडी से 5,000 प्रति वर्ष ब्याज मिला. चूंकि लोकेश ने बिना किसी पर्याप्त प्रतिफल के नकदी (संपत्ति) हस्तांतरित की है और इसे श्रीमति लोकेश द्वारा किसी अन्य संपत्ति में परिवर्तित कर दिया गया है. इसलिए, परिवर्तित संपत्ति यानी एफडी से अर्जित 5,000 रुपये का ब्याज आयकर अधिनियम की धारा 64(1)(iv) के अनुसार लोकेश की आय में जोड़ा जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 23, 2024, 17:47 IST