चोटाउदेपुर: गुजरात के चोटाउदेपुर जैसे दूरदराज क्षेत्रों में काम करना डाक कर्मचारियों के लिए एक बड़ी चुनौती है. इन्हें लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, और कई बार पारंपरिक साधनों के बजाय साइकिल, बाइक या पैदल चलकर अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है. चोटाउदेपुर भी ऐसा ही एक इलाका है, जहां डाक कर्मचारी न केवल चिट्ठियां बल्कि सरकारी योजनाओं के लाभ भी लोगों तक पहुंचा रहे हैं.
पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में पोस्टल ऑपरेशन की मुश्किलें
चिराग पंचाल पिछले चार साल से चोटाउदेपुर डाकघर में सेवाएं दे रहे हैं. उन्होंने हाफेश्वर और आसपास के क्षेत्रों के 2500 से अधिक लोगों तक जाकर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया है. चिराग ने पहाड़ी और पथरीले रास्तों को पार कर इन दुर्गम इलाकों में पहुंचकर लोगों तक योजनाओं के लाभ पहुंचाए. वह कोशिश कर रहे हैं कि अधिक से अधिक सेवाएं इन लोगों तक पहुंचाई जा सकें और जब तक वह इस क्षेत्र में कार्यरत हैं, यह प्रयास जारी रहेगा.
डोरस्टेप सेवाएं देने का संकल्प
लोकल 18 से बातचीत में चिराग पंचाल ने कहा, “मेरी नौकरी के शुरुआती दिनों में, आसपास के गांवों के लोग 10-12 के समूह में आधार और मोबाइल अपडेट के लिए मेरे घर आते थे. मैंने उनके गांव की जनसंख्या के बारे में जानकारी ली और फिर खुद उनके गांव जाकर सेवाएं देने का निर्णय लिया. मैंने तय किया कि मैं डोरस्टेप सेवा दूंगा. मुझे इस बात का एहसास है कि लोगों को जोड़ने और सरकारी संचार व वित्तीय लेनदेन जैसी जरूरी सेवाएं दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाने में मेरी भूमिका कितनी अहम है. मैंने उन इलाकों में भी सेवाएं दी हैं जहां केवल बाइक या पैदल चलकर ही पहुंचा जा सकता है. इन चुनौतियों के बावजूद, मुझे मेरा काम पसंद है और यहां लोगों की सेवा करके मुझे गर्व महसूस होता है.”
दुर्गम इलाकों में सेवा करने वाले डाककर्मी असली हीरो हैं
दूरस्थ स्थानों पर काम करने वाले डाककर्मी नायकों की तरह हैं. वे लोगों और समुदायों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि हर कोने में अंतिम लाभार्थी तक सेवाएं और चिट्ठियां पहुंचे.
ऐसी ही एक डाककर्मी, हेमलता राठवा ने कहा, “मेरे साथ दो और बीपीएम (ब्रांच पोस्ट मास्टर) काम करते हैं. हम कड़िपानी पीओ (पोस्ट ऑफिस) में डाक बांटते हैं और फिर आवंटित गांवों में डाक पहुंचाते हैं. मानसून के दौरान, नदी-नाले भर जाने या टूट जाने से काफी दिक्कत होती है. चूंकि लोगों के घर पहाड़ियों पर दूर-दूर होते हैं, नेटवर्क की समस्या भी होती है. हमें सभी गांवों से करीब 12 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है. इन मुश्किलों के बावजूद, हम पूरी कोशिश करते हैं और डाक उस व्यक्ति तक पहुंचाते हैं.”
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FIRST PUBLISHED :
November 29, 2024, 09:35 IST