Relationship Tips: इंसान प्यार में पड़ता है तो हर पल अपने पार्टनर के साथ बिताने की ख्वाहिश करने लगता है. शुरूआत में होता भी यही है कि दोनों एकदूसरे के बिना कुछ घंटों की भी दूरी सह नहीं पाते. एकदूसरे से दिन और रातभर बातें होती हैं, अपने-अपने सुख और दुख दोनों साझा करने लगते हैं, क्या अच्छा लगता है और किन चीजों से बुरा महसूस होता है यह सब बताते हैं. लेकिन, रिलेशनशिप के 2 से 3 महीनों बाद ही कम्यूनिकेशन गैप (Communication Gap) दिखने लगता है. ऐसा महसूस होता है जैसे पार्टनर की हमसे बात करने की इच्छा ही नहीं होती या फिर धीरे-धीरे पार्टनर्स बातों को साझा करने के बजाय अपने ही मन में रखना ज्यादा सही समझने लगते हैं. कई बार तो एक पार्टनर बात करने की कोशिश भी करता है तो दूसरे का उसके प्रति अच्छा रिस्पोंस ना देखकर बस दुखी होकर रह जाता है. इससे रिश्तों में दरार पड़ती है और आखिर रिश्ता टूट जाता है. ऐसे में यहां जानिए किस तरह इस कम्यूनिकेशन गैप को भरा जा सकता है और किस तरह रिलेशनशिप की इस चुनौती को दूर करके रिश्ता पहले की तरह खुशहाल बनाया जा सकता है.
रिलेशनशिप में कैसे दूर करें कम्यूनिकेशन गैप | How To Close Communication Gap In Relationship
जब बात करें तो ना हों डिस्ट्रैक्ट
अक्सर ही पार्टनर जब एकदूसरे से बात करते हैं तो कोशिश करते हैं कि अपना दिल खोलकर सामने रख सकें. लेकिन, जब दूसरा पार्टनर अपने फोन या आसपास की स्थिति से डिस्ट्रैक्ट होने लगता है तो मन की बात खुलकर नहीं की जा सकती है. इससे असल बात हो ही नहीं पाती और मन मसोसकर ही रहना पड़ता है. इसीलिए डिस्ट्रैक्शंस को दूर रखना जरूरी है.
सुनने की करें कोशिश
कई बार जब एक पार्टनर यह कहता है कि उसकी बात सुनी नहीं जा रही या उसे अपने हिस्से का टाइम नहीं मिल रहा तो पार्टनर डिफेंसिव मोड में आ जाता है और अपना पक्ष रखना ज्यादा जरूरी समझता है. जबकि कभी-कभी बस पूरी बात सुन लेने से और उन बातों को ना नकारने से ही कई गलतफहमियां (Misunderstandings) दूर हो सकती हैं.
एकदूसरे के बारे में पूछते रहें
जिस तरह रिलेशनशिप की शुरूआत में आप एकदूसरे से पूछते रहते थे कि क्या कर रहे हो, कुछ खाया या नहीं या फिर कहां जा रहे हो, उसी तरह रिलेशनशिप के कुछ महीनों बाद भी ये सवाल करते रहने चाहिए. माना आप दोनों को एकदूसरे की दिनचर्या याद हो गई है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप एकदूसरे का ख्याल रखना छोड़ दें और हाल-चाल पूछना कम कर दें.
बातें टालें नहीं
कई बार पार्टनर्स एकदूसरे से बात करते तो हैं लेकिन हर बार ही किसी परेशानी का हल निकलते-निकलते बस इसलिए रह जाता है क्योंकि दूसरे को कॉल काटना पड़ता है या किसी जरूरी काम के लिए निकलता होता है. इससे बातें बाद के लिए टल जाती हैं. बातें टालने के बजाय परेशानियों को सुलझाने के लिए एकदूसरे के साथ समय लेकर बैठें और फिर अपनी परेशानियां कहें.
नकारात्मक ख्यालों के आगे खुश रहना ना भूलें
अक्सर ही पार्टनर्स अपने क्वालिटी टाइम को भी बस इस चलते खराब कर देते हैं कि उनके मन में नकारात्मक बातें (Negative Thoughts) गहराने लगती हैं. नकारात्मक ख्यालों के चलते प्यारभरी बातें भी मुंह से नहीं निकल पातीं. इससे कम्यूनिकेशन गैप गहराता है और रिश्तों में खटास आ जाती है. इसीलिए ऐसी गलती करने से परहेज करें.