तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव में एक 14 वर्षीय किशोरी थी, जिसके जीवन में एक काला अध्याय लिखा गया. उसका सौतेला पिता, जो उसका विश्वासघाती संरक्षक होना चाहिए था, वह उसका सबसे बड़ा शोषक बन गया. यह भयानक घटना 2017 से 2021 के बीच घटित हुई, जब लड़की मात्र 12 वर्ष की थी.
इस तरह के अपराध न केवल एक व्यक्ति के जीवन को नष्ट करते हैं, बल्कि पूरे परिवार और समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं. बाल यौन शोषण एक ऐसा अपराध है जो बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करता है.
परिवार में विश्वासघात
आरोपी, जो मलप्पुरम में किराए के घर में रहता था, ने अपनी ही सौतेली बेटी पर सबसे बड़ा अपराध किया. जब उसकी पत्नी काम के लिए बाहर जाती, तब वह अपनी मासूम बेटी पर अत्याचार करता. उसने बच्ची को डराया-धमकाया कि वह किसी को कुछ न बताए. परिवार में विश्वास का यह विनाश एक बच्चे के लिए सबसे बड़ा आघात होता है. जहाँ एक बच्चे को सुरक्षा और प्यार मिलना चाहिए, वहीं उसे सबसे बड़ा दुःख झेलना पड़ा.
सच्चाई का उद्घाटन
लेकिन बच्ची ने हिम्मत दिखाई. उसने अपनी पीड़ा अपने करीबी दोस्त को बताया, और वह दोस्त आगे बढ़कर उसकी माँ को सारी सच्चाई बताने में मदद की. इस साहस ने एक बड़े अपराध को उजागर किया. यह बच्ची का असाधारण साहस था. कई पीड़ित बच्चे डर और शर्म के कारण अपनी पीड़ा छुपा लेते हैं, लेकिन इस बच्ची ने सच बोलने का निर्णय लिया.
न्यायपालिका का निर्णय
मंजेरी POCSO अदालत ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय दिया. आरोपी को 141 वर्ष कठोर कारावास और 7,85,000 रुपये का भारी जुर्माना सुनाया गया. अभिभोजन पक्ष ने 12 गवाहों और 24 महत्वपूर्ण दस्तावेजों के माध्यम से पूरी घटना को स्पष्ट किया.
यह निर्णय न केवल इस मामले में न्याय का प्रतीक है, बल्कि अन्य संभावित अपराधियों के लिए एक चेतावनी भी है.
पीड़िता की सुरक्षा
घटना के बाद, बच्ची को निर्भया होम में स्थानांतरित किया गया, जहाँ उसे सुरक्षा और परामर्श प्रदान किया गया. यह कदम उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण था.
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FIRST PUBLISHED :
November 30, 2024, 12:58 IST