पूर्वी चंपारण के आलोक शर्मा: शिक्षा के क्षेत्र में संघर्ष से सफलता की कहानी

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Aalok Sharma Motihari

आदर्श कुमार/ पूर्वी चंपारण: हर बड़ी शख्सियत के जीवन में संघर्ष की एक कहानी होती है, जो उन्हें न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी बनाती है. ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है पूर्वी चंपारण के आलोक शर्मा की, जिन्होंने तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है.

किसान परिवार से शिक्षा जगत तक का सफर
आलोक शर्मा पूर्वी चंपारण के सरोतर गाँव के रहने वाले हैं और लगभग दो दशक से शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं. किसान परिवार से आने वाले आलोक ने बचपन में आर्थिक तंगी और कठिनाइयों का सामना किया. पिता के संघर्ष ने उन्हें जीवन की वास्तविकताओं से जल्दी ही परिचित करा दिया. इन्हीं अनुभवों ने आलोक को गरीब बच्चों की मदद करने और उन्हें शिक्षा दिलाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने यह ठान लिया कि किसी भी बच्चे की पढ़ाई आर्थिक तंगी के कारण नहीं रुकेगी.

2002 में शुरू की थी शिक्षा की यात्रा
आलोक शर्मा ने वर्ष 2002 में एस.एच. आईटीआई की स्थापना कर अपने सपनों की पहली सीढ़ी रखी. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और बिहार के विभिन्न हिस्सों में दर्जनों आईटीआई संस्थानों की स्थापना की. इसके अलावा उन्होंने टीचर ट्रेनिंग कॉलेज, फार्मेसी कॉलेज और लॉ कॉलेज जैसे पेशेवर संस्थानों की भी नींव रखी. आलोक शर्मा का उद्देश्य सिर्फ शिक्षा का प्रसार करना नहीं, बल्कि इसे सस्ती और सुलभ बनाना है ताकि हर बच्चे को बेहतर शिक्षा मिल सके.

गरीब और नक्सली प्रभावित बच्चों के लिए खास पहल
आलोक शर्मा ने गरीब बच्चों के साथ-साथ नक्सली प्रभावित बच्चों को भी शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का बीड़ा उठाया. उन्होंने कई गरीब बच्चों को गोद लेकर उनकी शिक्षा, रहने और खाने की व्यवस्था की. इसके अलावा, जिन बच्चों के पिता किसी कारणवश गुजर चुके हैं, उनके लिए मुफ्त शिक्षा के साथ-साथ उनकी अन्य जरूरतों की भी जिम्मेदारी ली. अब तक सैकड़ों बच्चे उनकी इस पहल का लाभ उठाकर अपने भविष्य को संवार रहे हैं.

जन्मभूमि को शिक्षा का हब बनाने का सपना
आलोक शर्मा ने लोकल18 से बातचीत में बताया कि उनका सपना पूर्वी चंपारण को शिक्षा का हब बनाना है. उन्होंने बताया कि वह जल्द ही एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना करना चाहते हैं ताकि स्थानीय युवाओं को बाहर जाने की आवश्यकता न पड़े. उनका मानना है कि इससे यहां के छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी और पैसों की कमी के कारण किसी की पढ़ाई नहीं रुकेगी.

समाजसेवा में भी है गहरी रुचि
आलोक शर्मा शिक्षा के साथ-साथ समाजसेवा में भी सक्रिय हैं. विशेषकर कोरोना काल में, जब पूरा देश संकट में था, उन्होंने जरूरतमंदों की मदद कर समाजसेवा की मिसाल पेश की. उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को भोजन और आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई. इसके अलावा, वह जिले में होने वाली सामाजिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, जैसे गरीब लड़कियों की शादी में सहयोग और अन्य सामाजिक संस्कारों में भागीदारी.

Tags: Bihar News, Local18

FIRST PUBLISHED :

September 30, 2024, 24:48 IST

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