श्रीनगर गढ़वाल. प्याज एक ऐसी सब्जी है जिसकी साल भर बाजार में डिमांड बनी रहती है. हाल ही कुछ समय में प्याज की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, और वर्तमान में बाजार में प्याज की कीमत 60 से 80 रुपए तक चल रही है. इस लिहाज से देखा जाए तो प्याज रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है. नंवबर का महीना चल रहा है, और यह समय प्याज को खेतों में लगाने के लिए बेस्ट माना जाता है. इस समय तक किसान प्याज की नर्सरी तैयार कर लेते हैं. नर्सरी तैयार होने के समय ही किसानों को सबसे ज्यादा ध्यान रखना होता है, क्योंकि इस समय सबसे अधिक रोग लगने का खतरा होता है. प्याज की नर्सरी में एक रोग ज्यादातर देखा गया है. जिसे डंपिंग ऑफ या गलका रोग कहते हैं. ये रोग अधिकतर तब लगता है, जब प्याज की पौध 2 से 3 इंच की हो जाती हैं, अक्सर इस रोग के लगने से प्याज की नर्सरी 2 से 3 दिनों में खत्म हो जाती है और सूखने लगती है.
प्याज की नर्सरी को डंपिंग ऑफ यानि गलका रोग से बचाने को लेकर लोकल 18 ने उद्यान विभाग के अपर प्रशिक्षण अधिकारी पुरूषोत्तम बडोनी से बातचीत की. उन्होंने कहा कि प्याज की नर्सरी तैयार होने के बाद किसानों को बेहद ध्यान रखना होता है. क्योंकि इस समय एक बीमारी डंपिंग ऑफ प्याज की नर्सरी को खत्म कर देती. आए दिन अधिकतर किसान इसी बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि उनकी प्याज की नर्सरी सूख रही है.
ऐसे करें डंपिंग ऑफ से बचाव
कृषि एक्सपर्ट के अनुसार प्याज की नर्सरी को इस खतरनाक बीमारी से बचाने के लिये दवा का छिड़काव करना चाहिए, जो न सिर्फ डंपिंग ऑफ को खत्म कर देती है और उसे सूखने से भी बचाती है. अगर किसानों की क्यारी में यह बीमारी लग जाए तो उन्हें कार्बेन्डाजिम और डाइथेन एम 45 का स्प्रे नर्सरी में करना होता है. इसके लिए सबसे पहले 1 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से कार्बेन्डाजिम और डाइथेन एम 45 को घोलना होता है. फिर उसके बाद नर्सरी में इसका गहरा स्प्रे करना होता जो सीधे पौध की जड़ो में पहुंचे. इसके स्प्रे के 2 से 3 दिनों में डंपिंग ऑफ का प्रकोप कम होने लगता है. और प्याज की नर्सरी स्वस्थ हो जाती इसके बाद किसान इसे खेत में लगा सकते हैं.
Tags: Agriculture, Local18, Pauri news, Uttarakhand news
FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 13:29 IST