भावनगर: आजकल कई किसान कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी कर रहे हैं और इस काम से अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. इसके साथ ही, पशुपालन विभाग ने भी इस बिजनेस को फैलाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि ‘माइन डोनेशन स्कीम’ और ‘चाफ कटर स्कीम’. इन योजनाओं का फायदा अब बहुत से पशुपालक उठा रहे हैं.
क्या जानवरों को भी होती हैं बीमारियां?
जैसे इंसानों को बीमारियां होती हैं, वैसे ही जानवरों को भी होती हैं. अगर इनका ध्यान नहीं रखा जाए तो इससे नुकसान हो सकता है. खासकर, गायों और भैंसों में एक बीमारी होती है जिसे ‘केटोसिस’ कहते हैं, जो दूध उत्पादन को प्रभावित करती है.
केटोसिस बीमारी का असर
गायों और भैंसों में यह बीमारी खासतौर पर कष्टमुक्त करने के 40 से 45 दिन बाद होती है. इस बीमारी के कारण, नई मुक्ति वाली गायों और भैंसों का दूध 50 प्रतिशत तक घट जाता है. इसके बाद पूरे साल दूध की मात्रा कम रहती है. लेकिन इस बीमारी के लिए कुछ घरेलू उपाय भी हैं.
पशु चिकित्सक डॉ. काणुभाई बलडानिया का कहना है:
“गायों और भैंसों का दूध दूध पिलाने के बाद ज्यादा होता है, लेकिन इसी दौरान केटोसिस नाम की बीमारी हो सकती है. यह बीमारी आमतौर पर एक महीने से डेढ़ महीने के बीच होती है. इसके कारण दूध उत्पादन में कमी आ जाती है. यह बीमारी खासकर गायों में ज्यादा होती है. इस बीमारी में पशु खाना बंद कर देता है, उसका मुंह सड़ा हुआ अनाज जैसा गंध देता है और उसके मूत्र में केटोन बॉडीज निकलने लगती हैं, जिससे पशुपालक को पता चल जाता है कि जानवर को यह बीमारी हो गई है.”
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क्या है केटोसिस बीमारी का कारण?
इस बीमारी का मुख्य कारण शरीर में नकारात्मक ऊर्जा संतुलन यानी ग्लूकोज का कम होना है. अगर इस बीमारी का पता चलता है, तो इसे रोका जा सकता है, अगर सही मात्रा में ग्लूकोज दिया जाए.
घरेलू उपचार
घर के उपाय में, गाय को गुड़ के पानी में भिगोकर सुबह-शाम दें और शाम को जो भिगोया हो, उसे सुबह में दें. अगर घरेलू उपचार करने के बाद भी कोई बदलाव नहीं दिखता, तो पास के पशु चिकित्सक या सरकारी अस्पताल से तुरंत संपर्क करें. डॉक्टर से सही सलाह लेकर इलाज करवाना जरूरी है.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 12:06 IST