Kedarnath Seat Result: बद्रीनाथ की हार का सबक केदारनाथ सीट पर कर गया काम, कौन सा फैक्टर काम कर गया?
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Kedarnath Seat Result: बद्रीनाथ की हार का सबक केदारनाथ सीट पर कर गया काम, कौन सा फैक्टर काम कर गया?
देहरादून : उत्तराखंड की केदारनाथ सीट पर कांटे की टक्कर में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की आशा नौटियाल 5 से ज्यादा वोटों से जीत गईं. केदारनाथ विधानसभा में उप चुनाव वहां की बीजेपी विधायक शैला रानी रावत का असमय निधन की वजह से हुआ. इसी साल जुलाई में जब बद्रीनाथ विधानसभा उप चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी को हार मिली, तो कांग्रेस ने उसे देश की बदलती हुई राजनीति का सिंबल बताया. लेकिन चार महीने बाद हुए केदारनाथ उप चुनाव में बाजी पलट गई और पार्टी अपनी सीट संभालने में कामयाब रही.
क्या मायने हैं केदारनाथ जीतने के?
बीजेपी की हिंदूवादी राजनीति में बद्रीनाथ और केदारनाथ विधानसभा सीट बहुत मायने रखती हैं. लाखों हिंदुओं की आस्था के प्रतीक इन दोनों विधानसभा सीटों में आने वाले केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में देशभर से श्रद्धालु आते हैं. स्वाभाविक तौर पर ये माना जाता रहा इन सीटों पर बीजेपी की पकड़ है. बद्रीनाथ सीट पर जब बीजेपी की हार और कांग्रेस की जीत हुई तब बीजेपी की लीडरशिप भी सोचने पर मजबूर हुई कि आखिर गड़बड़ हुई कहां. इसी से सबक लेते हुए केदारनाथ सीट पर बीजेपी ने कोई चांस नहीं लिया. केदारनाथ धाम में 2013 की हिमालयन आपदा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद केदारनाथ वैली में पुनर्निर्माण के कामों को अपनी प्राथमिकता में रखा. उसके बाद पीएम मोदी कई बार केदारनाथ आए हैं. केदारनाथ से उनका सीधा कनेक्शन है और ये बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पार्टी ने प्रमुखता से उप चुनाव की सभाओं में उठाई.
मजबूत हुए सीएम धामी
जानकारों का कहना था कि अगर केदारनाथ की सीट बीजेपी के हाथ से फिसली तो इसका दूरगामी परिणाम हो सकता है. पर बीजेपी को उप चुनाव की जीत का तोहफा देकर सीएम धामी ने पार्टी में अपना कद और सरकार के भविष्य की अटकलों को विराम दिया है. दरअसल बीजेपी के लिए केदारनाथ प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई सीट रही. इस साल चार धाम यात्रा में भारी भीड़ आने के बाद और बाद में बारिश की वजह से यात्रा में व्यवधान आया. इसके लिए वोटर्स के बड़े वर्ग ने राज्य सरकार को जिम्मेदार माना. इस नरेटिव को विपक्ष ने भी हवा दी. सीएम धामी ने चुनावी सभाओं में वोटरों को बार-बार भरोसा दिलाया कि चार धाम यात्रा को स्मूथली चलाना उनकी सरकार की प्राथमिकता में है. सीएम के साथ पार्टी के बड़े नेता और संगठन के नेता भी जुटे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सैकड़ों मीटिंग्स की. इसका असर ये हुआ कि बीजेपी केदारनाथ का किला बचाने में कामयाब रही.
Tags: Assembly by election, Assembly bypoll, Kedarnath, Uttarakhand news
FIRST PUBLISHED :
November 23, 2024, 14:43 IST