बद्रीनाथ धाम में मिल रहे दान से लखपति बन रहे साधु, सालभर रहता है इंतजार

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शीतकाल के लिये बद्रीनाथ धाम के कपाट बंदशीतकाल के लिये बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद

चमोली: रविवार को बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हो गए हैं. इसके बाद बद्रीनाथ में श्रद्धालुओं के दर्शन बंद हो जाते हैं. बद्रीनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही साधु-संत भी यहां से मैदानी क्षेत्रों की ओर अपने-अपने स्थानों की ओर चले जाते हैं. हालांकि जब धाम के कपाट खुलते हैं, यहां साधु संतो का जमावड़ा लगा रहता है. ये साधु आस्थापथ से लेकर बद्रीनाथ धाम और विजयलक्ष्मी चौक तक बैठे रहते हैं. बद्रीनाथ धाम में लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिये आते हैं और साधुओं को भी दक्षिणा देते हैं. ये साधु धाम यात्रा के दौरान मिला एक-एक दान का रुपया जोड़कर लाखों की कमाई करते हैं.

बद्रीनाथ में दान का विशेष महत्त्व
बद्रीनाथ धाम में विष्णु भगवान तपस्या की मुद्रा में विराजमान हैं, जिससे यहां दान और ध्यान का बड़ा महत्व है. श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना करने के बाद साधु-संतो को कपड़े और धन दान करते हैं. साथ ही आये दिन कई धनाढ्य लोग भी साधु-संतों को खूब दान करते हैं. गोवर्धन नाथ वृंदावन से हर साल बदरीनाथ धाम पहुंचने वाले साधु सनातन गिरी ने कहा कि वे धाम के कपाट खुलने से 3 दिन पहले बद्रीनाथ पहुंच जाते हैं और धाम के कपाट बंद होने के 2 दिन बाद वापस जाते हैं.

20 सालों से कपाट खुलते ही पहुंचते हैं बद्रीनाथ
65 साल की उम्र के साधु गोविंददास पिछले 20 सालों से लगातार बद्रीनाथ धाम पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि उनका बद्रीविशाल से अत्यधिक लगाव है, वे लगातार 20 सालों से कपाट खुलते ही बद्रीनाथ पहुेचते हैं और कपाट बंद होने के बाद ही यहां से निकलते हैं. यहां देश भर के अलग-अलग राज्यों से श्रद्धालु आते हैं. बद्रीनाथ के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल का कहना है बद्रीविशाल की दर पर सभी आस्था के साथ पहुंचते हैं. कुछ धनवान साधुओं की यहां आलीशान कुटिया और धर्मशाला भी हैं.

दान से करते हैं लाखों की कमाई
पंडा पंचायत बद्रीनाथ के अध्य्क्ष प्रवीन ध्यानी ने बताया यात्रा के दौरान यहां साधु-संतो का जमावड़ा लगा रहता है. और वे दान में मिले सिक्कों और रुपयों को जमा कर लाखों रुपये जमा कर लेते हैं.  बीच-बीच में साधु धाम के ही किसी जिम्मेदार व्यक्ति के पास रुपये जमा कर देते हैं. कपाट बंद होने के बाद उनके पास अच्छी खासी रकम जमा हो जाती है.

कपाट बंद होने के बाद भी शीतकाल में तपस्या करते हैं साधु
वहीं शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद भी कई साधु संत यहां तपस्या में लीन रहते हैं. वे शीतकाल के लिये पहले से ही राशन और आवश्यक सामग्री इकट्ठा कर लेते हैं. ये भी जान लें कि जिला प्रसाशन की अनुमति लेकर ही यहां रह सकते हैं. इससे पहले इनका जरूरी स्वास्थ्य परीक्षण और सत्यापन किया जाता है.

Tags: Chamoli News, Local18, News18 UP Uttarakhand

FIRST PUBLISHED :

November 18, 2024, 16:17 IST

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