बांस खेती से बदल सकती है किस्मत, 40 साल तक मिलता रहेगा मुनाफा! जानिए कैसे...

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रीवा. जिले में बांस रोपण की अपार संभावनाएं हैं. हृदय लाल सिंह उप वन मंडल अधिकारी रीवा ने बताया कि रीवा जिले में 5 से 10 हजार एकड़ में बांस की खेती की जा सकती है. बांस की खेती परंपरागत खेती की तुलना में कम लागत तथा कम रिस्क पर अधिक लाभ देने वाला व्यवसाय है.

अच्छी किस्म का बांस रोपित करने के बाद पांचवे वर्ष से लगभग 40 वर्षों तक लगातार लाभ मिलता रहता है. एक बार बांस रोपित करने तथा दो वर्षों तक देखभाल के अलावा इसमें किसी तरह का खर्च नहीं आता है. आगामी 20 वर्षों तक बांस की बहुत अधिक मांग रहेगी. लकड़ी के स्थान पर अब बांस के उपयोग को प्राथमिकता दी जा रही है.

बांस की खेती पर नहीं पड़ता मौसम का असर
प्रमुख सचिव ने कहा कि परंपरागत खेती में आने वाले खर्चे का हिसाब-किताब लगाने के बाद किसान बांस की खेती को अपनाएं. जब बड़े क्षेत्र में बांस का रोपण होगा तभी अधिक लाभ मिलेगा. निजी कंपनी वाले दो रुपए 55 पैसे प्रति किलो की दर से बांस खरीदने का एग्रीमेंट कर रहे हैं. बांस की खेती में मौसम का असर नहीं पड़ता है. बांस पीपल के बाद सर्वाधिक ऑक्सीजन देने वाला पौधा है. इमारती लकड़ी के वृक्ष 25 से 30 साल में तैयार होते हैं. जबकि बांस 5 से 7 साल में तैयार हो जाता है एवं लगातार उत्पादन देता रहता है. उन्होने बताया कि हम लोग परिसर में लगाई गई बांस रोपण का अवलोकन करते रहते हैं.

मुंबई-बनारस कॉरिडोर में रीवा
हृदय लाल सिंह उप वन मंडल अधिकारी ने बताया कि रीवा जिला मुंबई-बनारस औद्योगिक कॉरिडोर का भाग है. यहाँ अन्य उद्योगों के साथ बांस उद्योग की प्रबल संभावना है. किसान बांस की खेती को अपनाकर अपना भविष्य उज्ज्वल बना सकते हैं. बांस की खेती के लिए वन विभाग से पौधे तथा तकनीकी मार्गदर्शन दिया जाएगा. किसानों को बांस की बिक्री के लिए भी हर संभव सहायता दी जाएगी. एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल बांस रोपण को अपनाकर जिले में आर्थिक विकास का नया अध्याय लिखा जा सकता है.

Tags: Bamboo Products, Local18, Madhya pradesh news, Rewa News

FIRST PUBLISHED :

November 29, 2024, 18:08 IST

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