पीलीभीत. उत्तर प्रदेश का पीलीभीत टाइगर रिजर्व वन्यजीव संरक्षण के लिहाज़ से देश भर में अपनी छाप छोड़ रहा है. एक तरफ जहां इस जंगल में बाघ और हाथी जैसे जंगली जानवरों को संरक्षित किया जा रहा है. तो वहीं दूसरी ओर अब यहां गेंडों को भी संरक्षित किए जाने की योजना है. इस योजना को केंद्र सरकार ने हरी झंडी दिखा दी है. जल्द ही इस परियोजना का काम धरातल पर भी शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है. गौरतलब है कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व, नेपाल के शुक्लाफांटा राष्ट्रीय उद्यान से लग्गा-भग्गा वन्य गलियारे से जुड़ा हुआ है. ऐसे में, नेपाली गैंडे लंबे समय तक पीलीभीत टाइगर रिजर्व में रहते हैं.
यूपी का पीलीभीत टाइगर रिजर्व देश के सबसे प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य में से एक है. बाघों की साइटिंग के लिहाज से पीटीआर ने कई टाइगर रिजर्व को पीछे छोड़ रखा है. इसके पीछे का सबसे प्रमुख कारण है लगातार बढ़ती बाघों की संख्या. बाघों की संख्या बढ़ने के पीछे यहां का मैनेजमेंट और संरक्षण मॉडल तो कारगर है ही. वहीं यहां की आबोहवा भी एक अहम भूमिका निभाती है. पीलीभीत की शुद्ध आबोहवा प्राकृतिक संसाधन न केवल बाघ बल्कि लगभग सभी छोटे बड़े वन्यजीवों के लिए मुफीद माने जाते है.
नेपाली गेंडों को रास आता है पीलीभीत
पीलीभीत टाइगर रिजर्व बाघों का बसेरा तो है ही लेकि़न इसके साथ ही यहां हाथियों का परंपरागत कॉरीडोर भी है. इसके साथ ही साथ पीलीभीत टाइगर रिजर्व का लग्गाभग्गा इलाका नेपाली गेंडों को भी काफी अधिक रास आता है. पीलीभीत में टाइगर रिजर्व के साथ ही साथ हाथी रिजर्व की घोषणा बीते वर्षों की जा चुकी है. वहीं अब पीलीभीत में गेंडा परियोजना भी धरातल पर उतरने की उम्मीद जाग गई है.
सरकार की मंजूरी का इंतजार
पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन की ओर से इस परियोजना को लेकर भेजे गए प्रस्ताव को केन्द्र सरकार ने संज्ञान में ले लिया है. इसके साथ ही पीलीभीत में जल्द ही इस परियोजना से संबंधित ऑडिट किया जाएगा, जिसके आधार पर रिपोर्ट बनाई जाएगी. अंतिम रिपोर्ट के बाद ही इस परियोजना को अमल में लाया जाएगा. पूरे मामले पर अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि गेंडा परियोजना को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. उम्मीद है कि यह प्रयास जल्द ही सकारात्मक परिणाम देंगे और परियोजना को अमल में लाया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 19:48 IST