बिहार के टेक्सटाइल पार्क में लगेंगे 435 यूनिट, रोजगार के बढ़ेंगे अवसर

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पावर लूम, हैंडलूम सहित टेक्सटाइल उद्योग की पुरे चैन को एक ही स्थान पर स्थापित कर

गया. बिहार के गया जिला में महाराष्ट्र और तमिलनाडु के तर्ज पर इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क बनाने का काम तेजी से चल रहा है. गया के मानपुर प्रखंड स्थित शादीपुर गांव में 23 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर बाउंड्री बनाने का काम शुरु हो गया है. शादीपुर गांव में टेक्सटाइल पार्क बनने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. इस पार्क में अत्याधुनिक 435 यूनिट लगाने की योजना है. यहां कोट पेंट के अलावा नए प्रकार के अत्याधुनिक कपड़ों का निर्माण होगा. टेक्सटाइल पार्क बनाने के पीछे सरकार का यह मकसद है कि मानपुर के पटवा टोली में चल रहे कपड़ा उद्योग को बढ़ावा मिले और पावर लूम, हैंडलूम सहित टेक्सटाइल उद्योग की पुरे चैन को एक ही स्थान पर स्थापित करना है.

23 एकड़ में बन रह है टेक्सटाइल पार्क

फिलहाल मैनचेस्टर ऑफ बिहार के नाम से प्रसिद्ध पटवा टोली में लगभग 2000 हैंडलूम और 9000 पावर लूम के जरिए कपड़ा बुनाई का काम किया जा रहा है. पटवा टोली में 35 से 40 हजार श्रमिकों को रोजगार मिला हुआ है. शादीपुर गांव में 23 एकड़ में बन रहे टेक्सटाइल पार्क में धागा बनाई से लेकर कपड़े बनाने, प्रिंटिंग मशीन तक एक स्थान पर लगाकर बड़े पैमाने पर आधुनिक औद्योगिक बुनियादी ढांचा सुविधा विकसित करना है. इंटीग्रेटेड टैक्सटाइल पार्क की जमीन उद्योग विभाग को सौंप दी गई है और विभाग के द्वारा ही सारा काम किया जा रहा है.

देशभर में यहां से कपड़े की होती है सप्लाई

जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने लोकल 18 को बताया कि टेक्सटाइल पार्क बनाने के पीछे उद्देश्य यह है कि पटवा टोली के बुनकरों को एक बेहतर जगह मिले और कई लोग आकर काम करे. यही कोशिश है कि यहां अत्याधुनिक ऑटोमेटिक पावर लूम और हैंडलूम के मशीन स्थापित हो. इसके अलावा कई लोगों को उद्योग विभाग के माध्यम से लोन देने के लिए सूची बनाई गई है. जैसे-जैसे काम आगे बढ़ेगा वैसे ही लोगों को लोन देकर यहां यूनिट स्थापित की जाएगी. गौरतलब हो कि गया के मानपुर स्थित पटवा टोली में बने वस्त्र पूरे भारत में जाते हैं. यहां निर्मित करीब 60% वस्त्र पश्चिम बंगाल, 15% वस्त्र असम और शेष झारखंड, उड़ीसा और बिहार में खपत होते हैं.

35 हजार लोगों को मिल रहा है रोजगार

पटवा टोली में चल रहे कपड़ा उद्योग से 35 हजार लोग जुड़े हुए हैं. करीब 400 करोड़ का सालाना कारोबार है. अब धीरे-धीरे इस उद्योग से जुड़े लोग कम हो रहे हैं. इसमें सिर्फ पुराने लोग ही रह गए हैं. वहीं सालाना कारोबार में भी गिरावट देखी जा रही है. बैंकों से ऋण नहीं मिलने के कारण बुनकरों के इस उद्योग को बढ़ावा नहीं मिलना भी एक वजह है. लेकिन यहां टेक्सटाइल पार्क बनने के बाद बुनकरों के दिन भी अच्छे होंगे और हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

आवंटन के लिए 101 प्लॉट है उपलब्ध

बता दें कि गया जिला के अंतर्गत मानपुर औद्योगिक क्षेत्र को कुल 23 एकड़ भूमि को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया गया है. यह औद्योगिक क्षेत्र गया मुख्यालय से उत्तर दिशा में लगभग 4 किलोमीटर गया-इस्लामपुर स्टेट हाइवे के पश्चिम में अवस्थित है. इस औद्योगिक क्षेत्र के चहारदीवारी तथा सड़क निर्माण का कार्य प्रगति पर है. औ‌द्योगिक क्षेत्र में बियाडा द्वारा एक CETP का निर्माण कराया जा रहा है. लगभग 101 प्लॉट आवंटन के लिए उपलब्ध है. वर्तमान में 3 प्लॉट का आवंटन किया जा चुका है. डीएम ने बताया कि भविष्य में गया ज़िला उद्योग का हब बनेगा. राज्य सरकार द्वारा बिहार वासियों के लिए उद्योग का भंडार लाया गया है. अब बिहार वासियों को बिहार से बाहर जाने की जरूरत नही पड़ेगी. वे अब अपने घर में अर्थात अपने राज्य में ही रोजगार कर सकते हैं.

Tags: Bihar News, Gaya news, Local18, Textile Business

FIRST PUBLISHED :

October 18, 2024, 21:50 IST

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