अंजली शर्मा/कन्नौज. कन्नौज के गुरसहायगंज क्षेत्र में बीड़ी का बड़े पैमाने पर कारोबार होता है. ऐसे में यहां पर बीड़ी श्रमिकों के लिए एक अस्पताल का निर्माण कराया गया था, लेकिन अस्पताल में व्यवस्थाओं के चलते बदहाली व्याप्त है. बीड़ी श्रमिकों के इलाज के लिए बना यह अस्पताल अब खुद बीमार हो गया है. बीड़ी श्रमिकों को इस अस्पताल से बड़ी आस जुड़ी थी कि किसी बड़ी समस्या पर यह अस्पताल उनका और उनके परिवार की सुरक्षा करेगा, लेकिन डॉक्टरों की कमी और संसाधनों की कमी के चलते यह अस्पताल बदहाली के कगार पर जा रहा है. ऐसे में बीड़ी श्रमिक अब इस अस्पताल को आस भरी निगाहों से देख रहे हैं,कि कब यह अच्छी तरह से चालू हो और उनके परिवार जनों को यहीं पर ही स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मिलने लगे.
कब बना था अस्पताल
वर्ष 1989 में गुरसहायगंज के मोहल्ला गोपाल नगर में अस्पताल की स्थापना की गई थी. लाखों खर्च के बाद भी 6 साल से एक्स-रे कक्ष में ऑपरेटर ना होने से यहां ताला लगा है, अन्य मशीन यहां पर धूल फांक रही है. अस्पताल में स्टाफ की कमी होने के कारण मरीजों को भारती नहीं किया जाता.
बीड़ी का बड़ा उधोग
बीड़ी उद्योग के रूप में प्रदेश में प्रथम स्थान इस कस्बा गुरसहायगंज का था. यहां पर कई छोटे बड़े बीड़ी बनाने के कारखाने थे. बीड़ी बनाने से होने वाली टीवी रोग को देखते हुए यहां पर अस्पताल की स्थापना कराई गई थी. बीड़ी श्रमिक चिकित्सालय के नाम से यह अस्पताल बना था. जिसमें कस्बा और आसपास के अधिकांश गांव के 6000 बीड़ी श्रमिक ने अपना पंजीकरण भी करवाया था, लेकिन अब धीरे-धीरे बीड़ी श्रमिक अस्पताल बदहाली की ओर बढ़ता जा रहा है. स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है.
टीबी के मरीजों के लिए है वरदान
टीवी जैसी गंभीर बीमारी की जानकारी के लिए लाखों रुपए खर्च करने के बाद सरकार की ओर से एक्स-रे मशीन लगाई गई थी, लेकिन करीब 6 साल से ऑपरेटर ना होने से एक्स-रे मशीन धूल फांक रही है. ऑपरेटर ना होने की वजह से टीवी से पीड़ित मरीज का एक्सरे नहीं हो पा रहा है.
डॉक्टर की कमी
इस अस्पताल में पांच की जगह सिर्फ दो ही डाक्टर तैनात हैं. चार की जगह दो ही स्टाफ नर्स है.चौकीदार न होने से अस्पताल में बाहरी लोगों की भीड़भाड़ अक्सर देखी जाती है. स्टाफ के न होने के कारण टीवी से ग्रसित गंभीर मरीजों को भरती नहीं किया जा सकता. जिससे कई वार्ड में यहां तले भी लगे हुए है. अस्पताल में प्रतिदिन ढाई सौ से 300 मरीज आते हैं, मोबाइल वैन प्रतिदिन बीड़ी श्रमिक बाहुल्य क्षेत्र में जाकर मरीजों को दवा वितरित करती है. अस्पताल में स्टाफ की कमी अगर पूरी हो जाए तो इन मरीजों को बहुत लाभ मिलेगा.
क्या बोले प्रभारी
बीड़ी श्रमिक अस्पताल प्रभारी डॉक्टर मुकेश गोला ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि बीड़ी श्रमिकों के लिए यह अस्पताल बहुत ही लाभदायक है, लेकिन स्टाफ की कमी के कारण यहां पर बीड़ी श्रमिकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हम लोग पूरा प्रयास करते हैं कि बीड़ी श्रमिकों का इलाज अच्छे से अच्छा हो, लेकिन अगर यहां पर डॉक्टर और स्टाफ की तैनाती हो जाती है तो यहां पर श्रमिकों को कहीं पर भी भटकना नहीं पड़ेगा. यही पर ही उनकी बीमारी का संपूर्ण इलाज हो जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
September 27, 2024, 16:43 IST