नई दिल्ली:
कन्ज़्यूमर हेल्थ एण्ड हाइजीन में ग्लोबल लीडर रैकिट द्वारा पेश किए प्रभावशाली प्रोग्राम ड्यूरेक्स द बर्ड्ज़ एण्ड बीज़ टॉक (टीबीबीटी) ने एक बार फिर से शिलोंग चैरी ब्लॉसम फेस्टिवल 2024 में अनूठी छाप छोड़ी. कार्यक्रम का उद्घाटन मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने किया. इस अवसर पर मेघालय के डिप्टी सीएम स्नियावभलंग धर, राज्य के पर्यटन मंत्री पाउल लिंगदोह और केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद रहे. इस दो दिवसीय आयोजन में रोज 50 हजार से अधिक विजिटर्स पहुंचे.
कार्यक्रम में कलाकारों ने अपनी परफॉरमेंस से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इनमें एकॉन, जाने-माने डिस्को बैंड बोनी एम, ब्रिटिश बैंड क्लीन बैंडिट और डच मोरक्कन डीजे आर3 हब, बॉलीवुड सितारे कनिका कपूर, जसलीन रॉयल और स्थानीय लोगों के पसंदीदा खासी ब्लड्ज, ल्युकास, द ग्रेट सोसाइटी, रिटो रीबा और क्वीन सेंसेशन शामिल थे.
स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान ग्राफिटी प्रतियोगिता, 360 डिग्री रोटेशन कैमरा बूथ, टीबीबीटी मैस्कोट्स जॉय जैसी एक्टिविटीज भी हुईं. इस मंच ने जीवन कौशल, सुरक्षित प्रथाओं एवं स्वस्थ व्यवहार पर बातचीत के लिए हब की भूमिका निभाई. गुवाहाटी की कलाकार पुलक मूर्तिकला, चित्रकारी, ग्राफिक्स एवं अप्लाईड आर्ट्स में विशेषज्ञ हैं. उन्होंने ग्राफिटी प्रतियोगिता को नया आयाम दिया.
नेशनल हेल्थ मिशन मेघालय के सहयोग से आयोजित इस प्रतियोगिता ने युवा कलाकारों को ऐसा मंच प्रदान किया, जहां उन्हें प्रोग्राम के कोर मूल्यों पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर मिला. प्रतियोगिता में असम, मेघालय और पश्चिम बंगाल से हजारों कलाकार शामिल हुए. विभिन्न जनजातियों का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने अपनी अद्भुत प्रतिभा को कैनवास पर उतारा. फेस्टिवल के दौरान 11 प्रतिभागियों को टीबीबीटी पिलर्स पर अपनी कला का लाइव चित्रण करने के लिए चुना गया. पूर्वी खासी हिल्स से शेमभलंग थॉब्रोई प्रतियोगिता के विजेता रहे. उन्हें 50 हजार के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर गौरव जैन, एग्जीक्यूटिव वाइज प्रेजीडेंट, रैकिट- साउथ एशिया ने कहा कि रैकिट में हम युवाओं को अपनी आवाज उठाने, भावनाओं की अभिव्यक्ति करने, अपने मूल्यों को समझने और भविष्य को आयाम देने के लिए शिक्षा के अंतर को दूर करना चाहते हैं. रवि भटनागर ने कहा कि ग्राफिटी, संगीत और कला जैसे माध्यम भाषा और बोली से आगे बढ़कर कनेक्शन एवं अभिव्यक्ति के लिए युनिवर्सल प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं.