बिरहोर जनजाति की महिला की तस्वीर
Bokaro News: बोकारो जिले में रहने वाली विलुप्तप्राय बिरहोर जनजाति के लोगों को पानी और रोजगार की समस्या को लेकर अपनी परे ...अधिक पढ़ें
- News18 Jharkhand
- Last Updated : November 18, 2024, 14:04 IST
बोकारो. बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड के तुलबल गांव में स्थित बिरहोर टोला एक ऐसा स्थान है, जहां विलुप्तप्राय बिरहोर जनजाति के लोग रहते हैं. यह जनजाति जंगल से जड़ी-बूटियां इकट्ठा करने और रस्सी बनाने की कला के लिए जानी जाती है हालांकि आज के नए दोर में इनकी समस्याएं और चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं ,ऐसे में लोकल 18 कि टीम ने उनके गांव कि स्थिति और समस्याएं की जानकारी ली है.
गांव के निवासी सहदेव बिरहोर ने बताया कि इस टोले में 40 परिवार रहते हैं, जिनकी कुल जनसंख्या 108 है. हालांकि, यहां सरकारी सुविधाएं जैसे घर बिजली उपलब्ध हैं, लेकिन गर्मियों के समय गांव में पानी की समस्या सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है.गांव में केवल एक चापाकल और एक कुआं है,जो गर्मियों में सूख जाते हैं ऐसे में ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए भी दिक्कतों का समाना करना पड़ता है. इसके अलावा बिरहोर समुदाय का पारंपरिक रोजगार रस्सी बनाने पर निर्भर है, लेकिन अब बाजार में प्लास्टिक और रेडीमेड रस्सियों की मांग बढ़ने से उनके रोजगार पर गहरा असर डाला है. ऐसे में सरकार को उनके रोजगार के नए साधन विकसित करना चाहिए.
गांव की सुंदर मोनी देवी ने बताया कि उनके दो बच्चों ने आईटीआई पास किया, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल पाई बेरोजगारी की वजह से उन्हें राज्य के बाहर जाकर काम करना पड़ रहा है. ऐसे में स्थानीय नेताओं को और सरकार को रोजगार कि समस्या कि व्यवस्था करनी चहिए.
वहीं, युवा सुनील बिरहोर ने बताया कि स्टील प्लांट (सेल) द्वारा पढ़ाई के लिए गोद लिए गए बिरहोर बच्चों में उन्होंने शुरवाती शिक्षा दसवीं और आईटीआई तो पूरी कि थी .लेकिन उन्हें काम नहीं मिल रहा है और वह मजदूरी करने के लिए मजबूर है. ऐसे में शिक्षा के साथ-साथ उनके रोजगार के लिए भी सरकार को स्थानीय स्तर पर व्यवस्था करनी चाहिए.
पानी की समस्या और खेती की कठिनाई
गांव के निवासी सुभाष बिरहोर ने बताया कि पानी की किल्लत के कारण गांव में खेती संभव नहीं है और अगर गांव में पानी कि उचित व्यवस्था है, तो खेती कर कुछ आमदनी कमा सकते थे. ऐसे में सरकार को उनके गांव पानी और सिंचाई के लिए साधना उपलब्ध करना चाहिए .
वहीं संगीता देवी ने कहा कि गर्मियों के समय पानी के लिए जंगल के दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों के चुवा से पानी लाना पड़ता है. इसके अलावा पास में ही स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि आपातकालीन समय में सही इलाज हो सके.
Editor- Anuj Singh
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FIRST PUBLISHED :
November 18, 2024, 14:04 IST