मेहसाणा: गुजरात के मेहसाणा जिले के अधिकतर इलाकों में अजवाइन की खेती बड़े पैमाने पर होती है, खासकर अक्टूबर से नवम्बर के बीच अजवाइन बोई जाती है. अजवाइन की खेती दो प्रकार से की जाती है: सिंचित और असिंचित. बता दें कि मेहसाणा जिले के खेरवा गणपत विश्वविद्यालय में एक कृषि विज्ञान केंद्र है, जो किसानों को कृषि संबंधित जानकारी प्रदान करता है. रोशनबीन बारड, जो इस कृषि विज्ञान केंद्र में बागवानी विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रही हैं, ने अजवाइन की खेती के बारे में क्या ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में जानकारी दी है.
अजवाइन की खेती में क्या ध्यान रखना चाहिए?
लोकल 18 से बात करते हुए कृषि विशेषज्ञ रोशनबीन बारड ने कहा, “अगर अजवाइन की फसल की बुआई से पहले और बाद में सही तरीके से देखभाल की जाए, तो रोगों और कीटों की समस्या को रोका जा सकता है. बुआई को डेढ़ से दो सेंटीमीटर गहरे और 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर किया जाना चाहिए. प्रति हेक्टेयर दो से ढाई किलोग्राम बीज का उपयोग किया जाना चाहिए. बुआई के बाद से पहले बुवाई करना अधिक उचित माना जाता है क्योंकि इसके बाद कोई नुकसान की समस्या नहीं रहती. गुजरात अजमो 2 मेहसाणा जिले में अच्छी पैदावार देने वाली किस्म है.”
कृषि में खरपतवार का प्रबंधन (Weed Management)
मसाला फसलों में खरपतवार की समस्या 40 से 42 प्रतिशत तक पैदावार को कम कर देती है. अगर खरपतवार का सही तरीके से प्रबंधन न किया जाए, तो उत्पादन में 40 से 42 प्रतिशत की कमी हो सकती है. इसलिए बीज पहले बोने चाहिए, ताकि इंटरक्रॉपिंग की जा सके. साथ ही, जितना हो सके, खरपतवार को हाथ से निकालने की कोशिश करनी चाहिए. अगर समस्या ठीक न हो, तो पेंडिमेथालिन का छिड़काव प्रति हेक्टेयर एक किलोग्राम पानी में मिला कर किया जा सकता है, जो फसल को ब्लाइट की समस्या से मुक्त कर देगा.
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खाद और सिंचाई के उपाय
20 किलोग्राम नाइट्रोजन और 20 किलोग्राम फॉस्फोरस को बेस खाद के रूप में देना चाहिए. 27 किलोग्राम यूरिया और 44 किलोग्राम डीएपी को बेस खाद के रूप में लगाना चाहिए, और शेष 20 किलोग्राम नाइट्रोजन फसल के 30 दिन बाद, जब मिट्टी अच्छे से नम और सिक्त हो, तब लगानी चाहिए. अगर गोबर की खाद का उपयोग करना हो, तो प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम गोबर की खाद दी जानी चाहिए. सिंचित फसलों के मामले में, अजवाइन एक असिंचित फसल है, लेकिन तीन से चार सिंचाई फसल के समय तक दी जानी चाहिए. पहली सिंचाई हल्की होनी चाहिए, और बाकी सिंचाई शाम के समय की जानी चाहिए.
Tags: Local18, Special Project
FIRST PUBLISHED :
November 29, 2024, 16:43 IST