भीमल के पत्ते दुधारू जानवरों के लिए है वरदान! खिलाने से बढ़ती है दूध की मात्रा

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जानवरों

जानवरों के लिए खास भीमल का पत्ता 

बागेश्वर: उत्तराखंड के बागेश्वर के पहाड़ी इलाकों में पशुपालन बड़े स्तर पर किया जाता है. यहां दुधारू जानवरों को जीवन का हिस्सा माना जाता है. ऐसे में दुधारू जानवरों का दूध बढ़ाने के लिए कई तरीके अपनाएं जाते हैं. इन्हीं में से एक भीमल का पत्ता भी है. वहीं, भीमल के पत्तों को दुधारू जानवरों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है.

स्थानीय जानकर रमेश पर्वतीय ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि पहाड़ के अधिकतर पशुपालक भीमल के पत्तों को दुधारू जानवरों का दूध बढ़ाने के लिए खिलाते हैं. वास्तव में यह तरीका कारगर भी साबित होता है. साथ ही रोजाना दुधारू जानवर को भीमल के पत्ते खिलाने से दूध की मात्रा और क्वालिटी में बढ़ोतरी होती है.

भीमल के पत्तों का महत्व

भीमल का वैज्ञानिक नाम ‘ग्रीविया ऑपोसिटिफोलिया’ है. यह एक प्रकार का स्थानीय पेड़ है, जो उत्तराखंड के पहाड़ों और हिमालयी क्षेत्रों में बड़े स्तर में पाया जाता है. इसके पत्ते पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो पशुओं के लिए एक बेहतरीन चारा होते हैं. भीमल के पत्तों में प्रोटीन, विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं, जो दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य के लिए बेहतर होते हैं.

भीमल के पत्ते खिलाने के फायदे 

पशुओं को भीमल के पत्ते खिलाने से उनकी पाचन शक्ति में सुधार होता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व को वह आसानी से अवशोषित कर लेते हैं. इसलिए इसे खिलाने से दूध की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होता है. नियमित रूप से भीमल के पत्ते खिलाने से दूध में वसा (फैट) की मात्रा बढ़ती है, जिससे दूध की बाजार में मांग भी बढ़ती है.

स्थानीय पशुपालकों की राय

यहां के पशुपालक मान सिंह का कहना है कि हम कई सालों से अपने जानवरों को भीमल के पत्ते खिला रहे हैं. हमारे बुजुर्ग यह तरीका अपनाते थे, इसलिए आज हम भी यह तरीका आजमा रहे हैं. निश्चित ही हमें यह तरीका अपनाकर लाभ भी हो रहा है. भीमल के पत्ते सर्दियों में विशेष रूप से लाभकारी होते हैं, क्योंकि यह ठंड में जानवरों को ऊर्जा प्रदान करता है.

आर्थिक दृष्टि से लाभकारी

भीमल के पत्तों का उपयोग पशुपालकों के लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है. क्योंकि यह स्थानीय रूप से उपलब्ध है. इसलिए चारे पर होने वाले खर्च को कम करता है. इसके अलावा अच्छी गुणवत्ता का दूध मिलने में भी सहायक है. भीमल के पत्ते पहाड़ी क्षेत्रों में पशुपालन के लिए एक वरदान साबित है. यह न केवल दुधारू जानवरों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि दूध उत्पादन बढ़ाकर पशुपालकों की आय में भी वृद्धि करता है. उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग स्थानीय लोगों के लिए फायदेमंद है.

Tags: Animal husbandry, Bageshwar News, Local18, Uttrakhand

FIRST PUBLISHED :

November 17, 2024, 06:31 IST

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