भैरव अष्टमी कब है? व्रत पूजन से कार्य होंगे सिद्ध, जानें पूजन विधि और मुहूर्त

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Bhairav Ashtami 2024: सनातन धर्म में मार्गशीर्ष माह का विशेष महत्व है. इसको अगहन का महीना भी कहा जाता है. इस पूरे माह व्रत और त्योहारों का सिलसिला चलता है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भी खास मानी जाती है. इस दिन भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था. इसलिए यह दिन काल भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस अष्टमी तिथि को देवाधिदेव महादेव के रूद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है.

इस साल भैरव अष्टमी ब्रह्म योग, इंद्र योग और रवि योग में 22 नवंबर 2024 दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी. इस दिन व्रत करने से विशेष कार्य में सफलता और सिद्धि मिलती है. आइए जानते हैं भैरव अष्टमी पर कौन से योग बन रहे हैं? भैरव अष्टमी पर क्या है पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि? इस बारे में News18 को बता रहे हैं प्रतापविहार गाजियाबाद के ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी-

भैरव अष्टमी 2024 का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, इस साल अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम 6 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 23 नवंबर की शाम 7 बजकर 56 मिनट तक रहेगी. भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है. इसलिए 22 नवंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी. इस दिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी मनाई जाएगी.

कालाष्टमी 2024 पर शुभ योग

भैरव अष्टमी के दिन ब्रह्म योग और इंद्र योग के साथ ही रवि योग का निर्माण हो रहा है. इन योग में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी. साथ ही जीवन में आने वाली परेशानियों का भी सामना नहीं करना पड़ता है.

भैरव अष्टमी पर पूजन विधि

काल भैरव जयंती के दिन भगवान शिव के स्‍वरूप काल भैरव की पूजा करनी चाहिए. इस दिन प्रातः स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें चाहिए. काल भैरव भगवान का पूजन रात्रि में करने का विधान है. इस दिन शाम को किसी मंदिर में जाएं और भगवान भैरव की प्रतिमा के सामने चौमुखा दीपक जलाएं. इसके बाद ‘ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः’ का जाप करें. इसके बाद फूल, इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल आदि चीजें अर्पित करें.

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Tags: Dharma Aastha, Kaal Bhairav, Religion

FIRST PUBLISHED :

November 19, 2024, 11:46 IST

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