भोपाल: भोपाल की युवा चित्रकार अंजलि बारिया बीते कई सालों से आदिवासियों की जीवनी पर आधारित चित्रकला करती आ रही हैं. उनका कहना है कि इसके जरिए वह न सिर्फ अपने कलर को बढ़ावा दे रही है, बल्कि अच्छी आमदनी भी कर रही हैं. भोपाल के जनजातीय संग्रहालय में उनकी चित्रकला की प्रदर्शनी लगाई गई है.
भील समुदाय से आने वाली युवा चित्रकार अंजलि बारिया की 55वीं शलाका प्रदर्शनी में उनके हाथ द्वितीय चित्रों को प्रदर्शित किया गया है. इसके साथ ही उनके यह चित्र खरीदने हेतु भी उपलब्ध है. लोकल 18 से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनका जीवन चित्रकार के इर्द-गिर्द ही घूमता आया है. उनका जन्म भोपाल में हुआ है. लेकिन उनके परिवार की जड़े आज भी आदिवासी बहुल क्षेत्र झाबुआ से जुड़ी हुई है.
सालों से कर चित्रकला
अंजलि बताती है कि वह लगभग 8-9 साल से चित्रकला करती हुई आ रही है. उनकी चित्रकला खास तौर पर प्रकृति व जीव-जंतुओं से जुड़ी हुई होती है. इसके साथ ही वह अपनी संस्कृति को भी कला के माध्यम से बढ़ावा दे रही है. वह बताती है कि चित्रकला के जरिए लोग प्रकृति से जुड़े रह सकते हैं.
आदिवासी कला और जंगलों की कहानी
अंजलि की चित्रकला में भील आदिवासी कला और जंगलों की छवि देखने को मिलती है. जंगलों की कहानी में वन्यजीवन के साथ ही प्रकृति के विविध रंग देखने को मिलते हैं. खास तौर पर इसमें हिरण, मोर और साही जैसे जीवों के चित्रण देखने को मिलते हैं.
चित्रकला को व्यावसायिक रूप से अपनाया
अंजलि ने राजधानी भोपाल के एमएलबी कॉलेज से बीए में स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है. वह कहती है कि चित्रकला को उन्होंने व्यावसायिक रूप से अपनाया है और इसी के जरिए वह अपनी आमदनी करती है. अपने पिता से मार्गदर्शन प्रकार उन्होंने कला की बारीकियां सीखी और पारंपरिक तरीके से आज भी चित्रकला कर रही हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 23, 2024, 13:19 IST