सुबर्णपुर: महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं ने कड़ी मेहनत और आधुनिक तरीकों से बड़ी सफलता हासिल की है. कम समय, कम लागत और कम जगह में लाखों कमाने वाली इन महिलाओं की कहानी आज की युवा पीढ़ी को प्रेरित कर सकती है.
बायोफ्लोक तकनीक से मछली पालन
धौराखामन गांव (सोनपुर ब्लॉक, सुबर्णपुर जिला) की महिलाओं ने बायोफ्लोक तकनीक का इस्तेमाल करके मछली पालन में सफलता पाई है.
के दो टैंकों में झींगा और छोटे मछली के फ्राई उगाए जा रहे हैं.
के एक बड़े टैंक में छोटी मछलियां पाली जा रही हैं.
-यहां की महिलाएँ हर दिन इनका ध्यान रखती हैं और सही समय पर खाना देती हैं.
मछली पालन से महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर
बता दें कि राधाकृष्ण स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही हैं. उन्होंने पास के एक तालाब को लीज पर लेकर मछली पालन शुरू किया. इन मछलियों को बेचकर ये महिलाएं हर साल लाखों रुपये कमा रही हैं.
ओडिशा लाइवलीहुड मिशन और ब्लॉक प्रशासन के सहयोग से इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया. बैंक से 3 लाख रुपये का लोन लेकर महिलाओं ने यह काम शुरू किया. अब हर साल 5-7 लाख रुपये की कमाई हो रही है.
महिलाओं की मेहनत और सफलता की कहानी
रेवती बाघ और ईश्वरी मलिक जैसी महिलाएं इस ग्रुप का हिस्सा हैं और कहती हैं कि यह काम उनके जीवन को बदल रहा है. लोकल 18 से बात करते हुए समूह की अध्यक्ष, निरुपमा मलिक ने बताया कि उन्हें प्रशिक्षण और हर संभव सहयोग मिला.
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सोनपुर के ग्रुप डेवलपमेंट ऑफिसर सौम्या रंजन स्वैन ने बताया कि महिला समूह को प्रशिक्षण और सही दिशा देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. यह सिर्फ शुरुआत है, और कई महिलाएं इस मिशन का हिस्सा बन सकती हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 23, 2024, 10:35 IST