मो. सरफराज आलम/ सहरसा: सहरसा इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने एक ऐसा उपकरण तैयार किया है, जो मजदूरों की दिनचर्या के काम को आसान बना देगा. यह ऑटोमेटिक सिविंग मशीन (छलनी मशीन) न केवल समय बचाएगी, बल्कि कम मेहनत में अधिक काम करने में मदद करेगी. इसे तैयार करने में छात्रों ने 4 से 5 हजार रुपए की लागत लगाई है.
मशीन का डिज़ाइन और कार्यप्रणाली
कॉलेज के छात्र अनुज कुमार, जितेंद्र और विनय ने इस मशीन को तैयार किया है. अनुज ने बताया कि यह एक स्वचालित छलनी मशीन है, जो विभिन्न आकार के कणों को अलग करने के लिए तैयार की गई है. इस मशीन में एक मोटर और लोहे के फ्रेम के साथ फिल्टर का उपयोग किया गया है. मोटर स्लेव को पीछे और आगे की गति में हिलाकर सामग्री जैसे पाउडर या समुच्चय को छानने का काम करती है. यह प्रक्रिया मैन्युअल सिविंग की तुलना में तेज और अधिक कुशल है.
मजदूरों के लिए बड़ा सहारा
छात्रों का कहना है कि यह मशीन विशेष रूप से मजदूरों के लिए डिजाइन की गई है, ताकि उनकी मेहनत कम हो और वे कम समय में अधिक उत्पादन कर सकें. मशीन के उपयोग से मजदूरों को न केवल सहूलियत होगी, बल्कि उनके मुनाफे में भी वृद्धि होगी.
किफायती और उपयोगी तकनीक
ऑटोमेटिक सिविंग मशीन को बनाने में महज 4-5 हजार रुपए की लागत आई है, जिससे यह छोटे व्यवसाय और मजदूरों के लिए किफायती विकल्प बन जाती है. छात्रों ने बताया कि यह मशीन निर्माण स्थलों, खाद्य उत्पादन और अन्य औद्योगिक उपयोगों में बड़े पैमाने पर उपयोगी साबित हो सकती है.
छात्रों की उपलब्धि सराहनीय
इस आविष्कार ने इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों की प्रतिभा को उजागर किया है. छात्रों का यह कदम न केवल उनके कौशल को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास भी है. मजदूरों के काम को आसान बनाने वाला यह उपकरण उनकी दिनचर्या में क्रांति ला सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 29, 2024, 17:00 IST