कोडरमा. जिले के किसान आधुनिक खेती के साथ अब मत्स्य पालन के जरिए भी स्वावलंबी बन रहे है. डोमचांच प्रखंड अंतर्गत बच्चेडीह पंचायत के ग्राम जमडीहा निवासी मधुसूदन दास अपने परिवार के सहयोग से आज मछली पालन कर न सिर्फ आत्मनिर्भर बनें है, बल्कि दूसरे किसानों के लिए नजीर बने है. जिन खेतों से पहले मामूली आमदनी हो पाती थी, उन्हीं खेतों में तालाब खुदवा कर अब वे मछली पालन कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं.
बेरोजगारी में मछली पालन को बनाया आमदनी का साधन
मधुसूदन ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2000 में सुखाड़ योजना के तहत अपने जमीन में फसलों के पटवन के उद्देश्य से पोखर बनवाया था. उस समय उन्होंने सोचा भी नहीं था कि यह पोखर उनके जीवन में बदलाव के लिए कमाई का अच्छा जरिया बन जाएगा. घर की आर्थिक तंगी और बेरोजगारी की मार से जूझ रहे मधुसूदन के मन में रोजगार के लिए कुछ बेहतर करने की अभिलाषा जागृत होते रहती थी. इसी बेहतर सोच से उन्होंने मछली पालन के रोजगार को अच्छा स्रोत के रूप में चुना. इसके लिए वो जिला मत्स्य विभाग से अनुदान पर आर्थिक सहयोग प्राप्त कर प्रति वर्ष मछली पालन कर लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं.
कोलकाता से मांगते हैं मछली का बीज
उन्होंने बताया कि कोलकाता के मेहटी से कतला और रेहू मछली का बीज मंगाकर मछली पालन कर रहे हैं. पहली बार मत्स्य विभाग से अनुदान पर मछली का जीरा स्पॉन लेकर मछली का पालन शुरू किया था. लेकिन जानकारी के अभाव में शुरुआत में काफी नुकसान हुआ था. लेकिन वह हिम्मत नहीं हारे, वर्ष 2015 में हैदराबाद में नेशनल फिसरी डेवलपमेंट बोर्ड से मछली पालन को लेकर प्रशिक्षण लिया. इसके बाद विभाग से उन्हें समय-समय पर तकनीकी सहायता भी दी जाती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 30, 2024, 15:51 IST