नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की उम्मीदों को पहले हरियाणा की हार और अब महाराष्ट्र की पराजय ने बड़ा झटका दिया है. इससे निकट भविष्य में उसकी स्थिति और कमजोर हो गई है. हालांकि, झारखंड के चुनाव नतीजों ने पार्टी को थोड़ी राहत दी है. कांग्रेस ने महाराष्ट्र में ‘षड़यंत्र’ का आरोप लगाया और कहा कि विपक्ष को ‘निशाना बनाकर’ समान अवसर की स्थिति को बिगाड़ा गया है. महाराष्ट्र में कांग्रेस और महा विकास आघाडी की अप्रत्याशित हार उसके रणनीतिकारों के लिए हैरान करने वाली है. लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद वे अच्छा प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे थे और सोच रहे थे कि महाराष्ट्र में जीत और एमवीए में सबसे बड़ा दल बनकर वह हरियाणा के झटके से उबर जाएगी और अपने सहयोगियों के सामने भी उनकी स्थिति मजबूत हो जाएगी. मगर लगता है कि राहुल गांधी के लिए आने वाला वक्त अभी और कठिन हो सकता है.
महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार को दिल्ली और अगले एक-दो साल में होने वाले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों में उसकी संभावनाओं के लिए झटका माना जा रहा है. कांग्रेस की हार को सामाजिक न्याय की राजनीति की उसकी राह के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है, हालांकि पार्टी का कहना है कि वह इस एजेंडे पर कायम रहेगी. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि जातिगत जनगणना, आर्थिक समानता, सामाजिक ध्रुवीकरण, संविधान की सुरक्षा, 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा, मोडानी घोटाला… इन मुद्दों को महाराष्ट्र की जनता ने ठुकराया नहीं है… नतीजे भले ही विपरीत हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम पीछे हटेंगे. हम, हमारी पार्टी और कार्यकर्ता महाराष्ट्र में काम करते रहेंगे.
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि महाराष्ट्र की हार के बाद आगे के चुनावों में सहयोगियों के साथ सीटों का तालमेल करने में कांग्रेस की स्थिति अब कमजोर हो सकती है. महाराष्ट्र में कांग्रेस के लिए हार के साथ एक बड़ा झटका यह भी है कि वह पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा में अपने 15 सीटों के न्यूनतम आंकड़े तक सिमट गई है, जबकि उसे कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में 13 सीटें हासिल हुई थीं.
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कांग्रेस को अगले साल फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव और उसके कुछ महीने बाद बिहार विधानसभा चुनाव में उतरना है. दिल्ली में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस की बची-खुची उम्मीदें भी जमींदोज हो गईं. बिहार विधानसभा चुनाव में भी उसे अपने सहयोगियों के साथ लचर रवैया अपनाना पड़ सकता है, हालांकि झारखंड के नतीजे बिहार के लिहाज से उसके लिए थोड़ी राहत देने वाले हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 23, 2024, 22:19 IST