महाराष्ट्र में दो तिहाई बहुमत लेकिन बंगाल में एक सीट के लिए भी क्यों तरसी BJP

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West Bengal Bypoll: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को शानदार जीत मिली. बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों का महायुति गठबंधन लगभग 225 सीटें जीतने के करीब है. जबकि महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना- उद्वव, एनसीपी- शरद) को 60 का आंकड़ा पार करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. लेकिन पश्चिम बंगाल में बीजेपी एक भी सीट जीतने में असफल रही. बंगाल में छह विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुए थे. तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने न केवल तीन सीटें जीत ली हैं, बल्कि बाकी तीन सीटों पर भी बढ़त बना रखी है. यही नहीं टीएमसी ने बीजेपी से मदारीहाट की महत्वपूर्ण सीट जीतकर उसे करारा झटका दिया है. 

 मदारीहाट की सीट उत्तर बंगाल में है जो 2021 के पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जीती थी. बाकी पांचों सीटें दक्षिण बंगाल में हैं, जिसे टीएमसी का गढ़ माना जाता है. इन सीटों के मौजूदा विधायकों ने 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया था. जिससे ये विधानसभा सीटें खाली हो गई थीं. मदारीहाट (एसटी)  के अलावा अन्य विधानसभा सीटें- नैहाटी, हरोआ, मेदिनीपुर, तालडांगरा और सिताई (एससी) हैं. 

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आरजी कर कांड के बाद दबाव में थी टीएमसी
पश्चिम बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर की बलात्कार-हत्या के मामले को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के कारण तृणमूल कांग्रेस दबाव में थी. लेकिन उपचुनावों के परिणामों से साफ है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस तूफान से पार पा लिया है. इससे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पकड़ और भी मजबूत हो गई है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज के विरोध प्रदर्शनों के बीच ये चुनाव राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के लिए अग्नि परीक्षा सरीखे माने जा रहे थे. इसका मतलब यह है कि आरजी कर घटना के बाद राज्य सरकार के खिलाफ नकारात्मक अभियान के बावजूद पश्चिम बंगाल के लोगों ने ममता बनर्जी के नेतृत्व में अपना विश्वास बनाए रखा है.

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बीजेपी को लोकसभा के बाद फिर झटका
बीजेपी के लिए इस बार भी कई कारक अनुकूल नहीं रहे. लोकसभा चुनाव में भी उसको मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. 2024 में उसकी सीटें घटकर 12 हो गईं, जबकि 2019 में उसने 18 सीटें जीती थीं. उस समय भी बीजेपी की चुनावी रणनीति, संगठनात्मक ढांचे और नैरेटिव पर कई सवाल उठे थे. इसके अलावा बीजेपी की केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भरता, मुस्लिम विरोधी बयानबाजी  और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को समर्थन न मिलना भी नुकसानदायक साबित हुआ. इसके विपरीत ममता बनर्जी ने खुद को बंगाल के हितों की रक्षक के रूप में पेश किया. उनका यह अवतार भ्रष्टाचार और लॉ एंड ऑर्डर के मामले में फेल रहने के आरोपों के बावजूद मतदाताओं के साथ जुड़ गया. कमाल की बात यह है कि पश्चिम बंगाल में भगवा फहराने का सपना देख रही बीजेपी ममता की काट निकालने में असफल रही.

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बीजेपी से छीन ली मदारीहाट सीट
टीएमसी की संगीता रॉय ने सिताई में 1,30,636 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. उन्हें कुल 1,65,200 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के दीपक कुमार राय को 35,348 वोट मिले. यह टीएमसी का अनुसूचित जाति सीट पर मजबूत पकड़ का संकेत है. मदारीहाट (एसटी) पर टीएमसी के जयप्रकाश टोप्पो ने 79,186 वोट हासिल किए जबकि राहुल लोहार को 51,018 वोट मिले. जयप्रकाश टोप्पो ने इस सीट पर 28,168 वोट से जीत हासिल की. 2021 में यह सीट बीजेपी ने जीती थी. इससे टीएमसी ने इस महत्वपूर्ण सीट पर शानदार तरीके से  वापसी की. नैहाटी में टीएमसी के सनत डे ने 49,277 वोटों से जीत दर्ज की. सनत डे को 78,772 वोट मिले, जबकि बीजेपी के रूपक मित्रा को 29,495 वोट मिले.

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दक्षिण बंगाल में वर्चस्व कायम
ताजा अपडेट के अनुसार, बाकी तीन सीटों पर भी टीएमसी उम्मीदवार बड़े अंतर से आगे चल रहे हैं. हरोआ में, टीएमसी के एसके रबीउल इस्लाम ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट के पियारुल इस्लाम से आगे चल रहे हैं. मेदिनीपुर में, टीएमसी के सुजॉय हाजरा आगे हैं. उन्होंने बीजेपी के शुभजीत रॉय (बंटी) पर अच्छे खासे अंतर से बढ़त रखी है. तालडांगरा में, टीएमसी की फाल्गुनी सिंघाबाबू आगे चल रही हैं. उन्होंने बीजेपी की अनन्या रॉय चक्रवर्ती को 20,000 से ज्यादा वोटों से पीछे छोड़ रखा है. इन सीटों पर मजबूत बढ़त से साफ है दक्षिण बंगाल में टीएमसी के दबदबे को चुनौती मिलना आसान नहीं है. उपचुनाव के परिणाम टीएमसी के लिए एक बड़ी राहत हैं. वहीं, बीजेपी के लिए यह परिणाम एक और निराशा लेकर आए हैं.

Tags: Mamta Banarjee, Trinamool congress, West Bengal BJP, West Bengal Bypoll

FIRST PUBLISHED :

November 23, 2024, 16:58 IST

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