'माहौल पक्ष में होना भर जीत की गारंटी नहीं', CWC मीटिंग में बोले खड़गे, कहा- 'संगठन मजबूत करना सबसे बड़ी जरूरत'

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी- India TV Hindi Image Source : ANI कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी

नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी कई राज्यों में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर रही है और सबसे बड़ी जरूरत संगठन को मजबूत करने की है। एक्स हैंडल पर ट्वीट कर खड़गे ने कहा कि कई राज्यों में, हमारा संगठन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। हमारी सबसे बड़ी जरूरत संगठन को मजबूत करना है। 

कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल गांधी के सामने सभी सदस्यों से कहा कि हमें तुरंत चुनावी नतीजों से सबक लेते हुए संगठन के स्तर पर अपनी सभी कमजोरियों और खामियों को दुरुस्त करने की जरूरत है। ये नतीजे हमारे लिए संदेश है। जब तक हम एक हो कर चुनाव नहीं लड़ेंगे तो अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकेंगे? इसलिए जरुरी है कि सब अनुशासन का पालन करें। 

 माहौल पक्ष में होना भर जीत की गारंटी नहीं

खरगे ने कहा कि हालिया चुनावों में माहौल हमारे पक्ष में था। लेकिन केवल माहौल पक्ष में होना भर जीत की गारंटी नहीं। हमें माहौल को नतीजों में बदलना सीखना होगा। क्या कारण है कि हम माहौल का फ़ायदा नहीं उठा पाते? इसीलिए हमें पर्याप्त मेहनत करने के साथ समयबद्ध तरीके से रणनीति बनानी होगी। हमे अपने संगठन को बूथ लेवल तक मजबूत करना होगा।  

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कई राज्यों में हमारा संगठन अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। संगठन का मजबूत होना हमारी सबसे बड़ी जरूरत है। आप राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय नेताओं के सहारे राज्यों का चुनाव आप कब तक लड़ेंगे? हाल के चुनावी नतीजों का संकेत यह भी है कि हमें राज्यों में अपनी चुनाव की तैयारी कम से कम एक साल पहले शुरू कर देनी चाहिए। 

पुराने ढर्रे पर चलते हुए हर समय नहीं मिल सकती सफलता

सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में उन्होंने कहा कि हम पुराने ढर्रे पर चलते हुए हर समय सफलता नहीं पा सकते। आपका राजनीतिक प्रतिद्वंदी क्या कर रहा है, इसे रोज़मर्रा में देखना होगा। हमें समय से निर्णय लेने होंगे। जवाबदेही तय करनी होगी। खरगे ने कहा कि हमें हर हालत में चुनाव लड़ने के तरीकों को बेहतर बनाना होगा। क्योंकि समय बदल गया है। चुनाव लड़ने के तरीके बदल गए है। हमे अपनी संचार रणनीति

को विरोधियों से बेहतर करना होगा। उन्होंने सदस्यों से कहा कि कई बार हम ख़ुद अपने सबसे बड़े शत्रु बन जाते हैं। हमारा कोई नैरिटिव नहीं है तो मैं पूछता हूं कि नैरिटिव बनाना और उसको जनता तक पहुंचाना किसकी जिम्मेदारी है?

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