मुर्गियों में रानीखेत रोग का प्रकोप
औरंगाबाद. ठंड की शुरूआत के साथ ही कई प्रकार की बीमारियों ने भी दस्तक देना शुरू कर दिया है. ऐसे में इस मौसम ने मुर्गी पालकों की की परेशानी बढ़ा दी है. मुर्गियों और उनके चूज़े में होने वाली बीमारी से व्यवसाई परेशान हैं. औरंगाबाद जिले के कुटुंबा प्रखंड स्थित सुही गांव के व्यवसाई धीरेन्द्र सिंह कि परेशानी इन दिनों बढ़ गई है.
बता दें धीरेन्द्र सिंह पिछले 20 वर्षों से 2 मुर्गी फार्म चलाते आ रहे हैं. जिससे सालाना करीब 5 लाख रुपए तक की कमाई कर लेते हैं. लेकिन, इस मौसम में मुर्गियों में लगने वाला रोग रानीखेत ने परेशानी बढ़ा दी है. व्यवसाई धीरेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले 25 दिनों में 2 हज़ार से अधिक मुर्गियों की इस बीमारी से जान जा चुकी है. इसकी वजह से व्यवसाई ने अपने एक फार्म को बंद करने का फैसला ले लिया है.
रानीखेत रोग के लक्षण और उपचार
व्यवसाई धीरेंद्र सिंह ने बताया कि मुर्गियों और चूजों में रानीखेत रोग के लक्षण पहचानने के कई तरीके हैं, जिसमें खांसी और छींक, लड़खड़ा कर चलना, सांस लेने में परेशानी होना, सर्दी जुकाम, लकवा मारना जैसी गंभीर लक्षण हैं. रानीखेत रोग से पीड़ित मुर्गियों के मरने की संभावना बढ़ जाती है. मुर्गी फार्म संचालकों को रानीखेत रोग के बढ़ने से पहले उसकी रोकथाम का उपाय कर लेना चाहिए. सबसे पहले संचालकों को मुर्गी फार्म के आस-पास साफ़-सफाई का ध्यान रखना चाहिए. साथ ही हर किसी को फार्म में जाने की अनुमति नहीं दिया जाना चाहिए. उनके खानपान पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. यहां तक कि अगर कोई इस रोग से ग्रसित है, तो उन्हें बांकि मुर्गियों से अलग रखना चाहिए.
प्रतिदिन 25 किलो की बिक्री
मुर्गी फार्म संचालक धीरेंद्र सिंह ने बताया कि हजारीबाग से थोक रेट 5 रुपए प्रति पीस तक चूज़ा खरीद कर लाते हैं. वहीं एक फार्म में 5 हज़ार के क़रीब चूज़े हैं. बता दें कि बाज़ार में इसकी क़ीमत प्रति किलो 110 रुपए तक है. वहीं प्रतिदिन 25 किलो तक बिकता है. औरंगाबाद जिले के आस-पास के प्रखंडों में मूर्गियों की सप्लाई की जाती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 17, 2024, 09:04 IST