पुडुचेरी: सरवनन तिरुवन्नामलाई जिले के जाव्वतु पहाड़ी गांव के निवासी हैं. प्रकृति के प्रति उनके गहरे प्रेम और पेड़ों एवं जंगलों की रक्षा के संकल्प ने उन्हें 1989 में पुदुचेरी के पास स्थित ऑरोविले इंटरनेशनल सिटी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. वहां, उन्होंने सामाजिक सेवा और वृक्षारोपण के कार्यों में योगदान दिया. प्रकृति के प्रति उनकी निष्ठा को देखते हुए, ऑरोविले प्रबंधन ने सरवनन को पुदुचेरी के पास भूतुरा गांव में 100 एकड़ बंजर भूमि सौंप दी. यह भूमि रेतीली और वृक्षविहीन थी, लेकिन सरवनन ने इसे एक हरा-भरा जंगल बनाने का लक्ष्य तय किया. प्रबंधन ने उनके लिए इस भूमि पर एक साधारण झोपड़ी बनाई, और सरवनन ने अपनी मेहनत की शुरुआत की.
भूमि को समृद्ध करने की दिशा में पहला कदम
सरवनन ने पहले उस भूमि की मिट्टी को समृद्ध करने के लिए वर्षा जल को बचाने का निर्णय लिया. इस कदम से भूजल स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और भूमि की उर्वरता में भी सुधार हुआ. इसके बाद, स्थानीय युवाओं की मदद से, उन्होंने इस 100 एकड़ भूमि पर एक हजार से अधिक पौधे लगाए जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में उग सकते थे. उनके अथक प्रयासों के कारण अब इस क्षेत्र में एक विशाल और हरा-भरा जंगल फैल चुका है, जिसमें एक लाख से अधिक पौधे और वृक्ष हैं.
अरण्य कडु: एक स्वर्गीय स्थान
सरवनन के 30 वर्षों की कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप अब अरण्य कडु एक ऐसी जगह बन चुकी है जहां लोग शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर, प्राकृतिक शांति का अनुभव कर सकते हैं. यहां की शांति, पक्षियों की चहचहाहट और हज़ारों हर्बल पौधों की खुशबू लोगों को शांति और ताजगी का अहसास कराती है. इस जंगल में सेम्मारम (लाल चंदन), सागौन, आम, कटहल और आबनूस जैसे एक हजार से अधिक पेड़ लगे हैं. इसके अलावा, यहां पक्षियों की 240 प्रजातियां और 40 से अधिक जंगली जानवरों का घर है.
प्रकृति के साथ सामंजस्य में जीवन
आज, सरवनन ने इस जंगल को अपना घर बना लिया है. वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ इस अरण्य में रहते हैं और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखते हुए जीवन यापन करते हैं. सरवनन ने अपनी मेहनत और समर्पण से यह साबित किया है कि एक व्यक्ति अकेले भी पर्यावरण को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
सरवनन का समाजिक योगदान और संदेश
सरवनन को उनकी पर्यावरणीय सेवाओं के लिए तमिलनाडु सरकार द्वारा विल्लुपुरम जिले के मानद वन जीवविज्ञानी के पद से सम्मानित किया गया है. इसके अलावा, वह विल्लुपुरम जिला पालतू हाथी देखभाल समिति के सदस्य भी हैं. उनका प्रमुख संदेश है कि यदि 100 दिवसीय कार्य योजना के तहत 33 प्रतिशत पंचायत और नगर पालिकाओं को हरा-भरा बना दिया जाए, तो हम अपनी धरती को स्वर्ग जैसी बना सकते हैं. उन्होंने उदाहरण के तौर पर केरल के पलाकोडु इलाके में इस योजना के लागू होने का जिक्र किया है.
पेड़ उगाना और प्रकृति की रक्षा
सरवनन के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए, और हमें भी इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है. भविष्य में हमें भी इस तरह के उदाहरणों से प्रेरित होकर अधिक से अधिक पेड़ उगाने का संकल्प लेना चाहिए. आइए, हम सब मिलकर प्रकृति की रक्षा करें और अपने पर्यावरण को बेहतर बनाएं.
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FIRST PUBLISHED :
November 18, 2024, 16:04 IST