यातायात का हुआ करता था साधन अब बच्चे जानते तक नहीं, जानें घोड़ा-गाड़ी का राज!

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कभी यातायात का हुआ करता था प्रमुख साधन अब तो बच्चे जानते तक नहीं, जानें घोड़ा-गाड़ी का राज

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Godda News: एक समय टमटम और घोड़ा-गाड़ी यातायात का एक प्रमुख संसाधन हुआ करता था. आधुनिक दुनिया में मशीनों के आविष्कार ने स ...अधिक पढ़ें

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गोड्डा. एक दौर था जब टमटम और घोड़ा गाड़ी यातायात का एक प्रमुख संसाधन हुआ करता था, हर छोटी बड़ी यात्रा के लिए इस घोड़ा गाड़ी और टमटम का प्रयोग किया जाता था. वहीं आधुनिक होते इस दुनिया में और दिन-ब-दिन हो रहे आधिनुक मशीनों के आविष्कार ने इन घोड़ा गाड़ी और टमटम को विलुफ्त कर दिया.

शहर और बाज़ारों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब घोड़ा गाड़ी की सवारी देखने को नही मिलती है. ग्रामीण क्षेत्रों में एकाक घोड़ा गाड़ी बचे भी है तो उसे व्यापारी अपने व्यापार-रोजगार के लिए उपयोग करते है. जहां आज भी व्यापारी घोड़े गाड़ी का इस्तेमाल कर अपने समानों को उसपर लाद कर हाट तक जाते हैं.

दिन भर में 500 से 600 रुपये की कमाई
गोड्डा के पिरोजपुर निवासी टमटम चलाने वाले टुनटुन साह ने बताते हैं कि पहले के समय में तो पैसेंजर भी इस घोड़ा गाड़ी से सफर करते थे, पर अब पैसेंजर कम बैठते हैं. लेकिन समान ढुलाई में अब भी घोड़े गाड़ी का उपयोग किया जाता है जिसमें वह दिन भर में 500 से 600 रुपए की कमाई कर लेते है. जिसमें 200 रूपए रोज घोड़े के खर्ज में जाता है. इसके साथ वह बताते हैं कि उन्होंने पुस्तैनी यह गाड़ी चलाई है. इस वजह से आज भी वह इसी से अपनी सवारी करते हैं और हाट बाजार जाते हैं.

घोड़ो को खिलाने में आता है खर्च
जहां यह टमटम गाड़ी मशीन वाली गाड़ी से लाख गुना अच्छी है. क्योंकि इसमें ना ही पेट्रोल का खर्च लगता है और नाह कोई मेंटेनेंस. सबसे बड़ी बात है कि यह ऑटो टोटो और पिकअप से से जल्दी अपनी गंतव्य स्थान पर पहुंचा देता है. वहीं घोड़ा गाड़ी आज भी खराब सड़को पर समान लाद कर आसानी से चल लेता है. उन्होंने बताया कि घोड़े को खिलाने में काफी अनाज का खर्च होती है. इसलिए यह थोड़ा महंगा भी होता जा रहा है.

वह पिरोजपुर से भुस्का हाट जा रहे हैं. वह जब से सब्जी की सवारी करना शुरू किए हैं तब से टमटम में ही सामानों को लाने ले जाने का काम किया करते हैं क्योंकि इसमें किराया भी कम लगता है और इससे काम करना सुगम भी होता है.

Tags: Godda news, Local18, Passenger Vehicles, Save tradition

FIRST PUBLISHED :

November 18, 2024, 19:43 IST

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