छतरपुर: जिले में ठंड का मौसम शुरू हो गया है. रात की ठंड से बचने के लिए घर-घर रजाई-गद्दे की मांग बढ़ने लगी है. अगर आप भी भरे हुए सस्ते रजाई-गद्दे बनवाना चाहते हैं तो यहां जरूर आएं. क्योंकि यहां सालों से उच्च गुणवत्ता वाली रुई भरे जा रहे हैं.
छतरपुर के बारीगढ़ निवासी नफीस लोकल 18 से बातचीत में बताते हैं कि वे पिछले 6-7 साल से रजाई-गद्दे बेचने का काम कर रहे हैं. जितने कस्टमर आते हैं उतने गद्दे बनाते हैं. हर साल की तुलना में इस साल ठंड कम है. इसलिए घरों में रजाई-गद्दे की मांग भी कम है.
क्वालिटी के अनुसार है रुई का भाव
नफीस बताते हैं कि यहां रजाई-गद्दे भरे भी जाते हैं और बनाकर भी बेचे जाते हैं. हमारे यहां रजाई-गद्दे में 50 रुपए किलो से लेकर 140 रुपए किलो वाली रुई भरी जाती है. इसके अलावा बने बनाए गद्दे-रजाई भी बेचते हैं. 140 रुपए किलो वाली रुई की ख़ास बात यह है कि ये रुई हल्की बहुत होती है. इसलिए रजाई-गद्दे का वज़न भी कम होता है. ऐसे गद्दे सोने में बहुत आरामदायक होते हैं.
350 रुपए में मिल जाता है गद्दा
नफीस बताते हैं कि हमारे यहां रजाई-गद्दे का भाव वैरायटी के अनुसार है. यहां 1 हजार रुपए का भी बना-बनाया गद्दा मिलता है और 350 रुपए का भी मिलता है. यहां सबसे सस्ता गद्दा 350 रुपए में मिल जाता है. 250 रुपए में यहां गद्दा कवर मिलता है. इसके अलावा 100 रुपए से लेकर 150 रुपए में अच्छी क्वालिटी की तकिया भी बेचते हैं.
इतना हो जाता है मुनाफा
नफीस बताते हैं इस धंधे में मेहनताना ही मिलता है. क्योंकि एक रजाई-गद्दे में 100 से 150 रुपए ही मिल पाता है. ये कह सकते हैं कि इससे घर-खर्च और परिवार पल रहा है. यहां रजाई-गद्दे भरने वाले भी लगे हैं. इनको भी मेहनताना देना होता है. एक गद्दे-रजाई का 100 से 120 रुपए मेहनताना देना होता है. इसलिए खास मुनाफा नहीं होता है. फिलहाल, सीजन भी अभी मंदा चल रहा है.
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FIRST PUBLISHED :
November 29, 2024, 17:36 IST