गुजरात: हरसिंगर, जिसे जैस्मीन और ‘रात की रानी’ के नाम से भी जाना जाता है, अपनी खूबसूरती और सुगंध के लिए प्रसिद्ध है. बागवानी के शौकीन इसे अपने बगीचों में लगाना पसंद करते हैं. इस पौधे की सबसे खास बात यह है कि इसके फूल रात में खिलते हैं और सुबह गिर जाते हैं. यही कारण है कि इसे ‘रात की रानी’ कहा जाता है. यह पौधा न केवल घर और बगीचों की शोभा बढ़ाता है बल्कि इसकी भीनी खुशबू पूरे वातावरण को ताजगी से भर देती है.
औषधीय गुणों से भरपूर पौधा
हरसिंगर के पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं और औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. सफेद फूलों के साथ नारंगी तने इस पौधे को और भी आकर्षक बनाते हैं. इसकी मोहक खुशबू सभी को अपनी ओर खींचती है. यह मध्यम आकार का पेड़ होता है, जो लगभग 10-12 फीट की ऊंचाई तक बढ़ता है. इसके औषधीय गुण इसे अन्य पौधों से अलग बनाते हैं. इसके पत्ते एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद बनाते हैं.
धार्मिक और पारंपरिक महत्व
हरसिंगर के फूलों का धार्मिक और पारंपरिक महत्व भी है. पूजा-अनुष्ठानों में इनका उपयोग किया जाता है. इसके फूलों से नारंगी रंग तैयार किया जाता है, जो पारंपरिक कपड़ों को रंगने में उपयोगी है. प्राचीन काल से इसका उपयोग धार्मिक समारोहों में शुभ माना गया है. इसकी उपस्थिति वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक बनाती है.
पौराणिक कथा: स्वर्ग से धरती पर लाया गया पौधा
आयुर्वेदिक डॉक्टर मनीष शर्मा के अनुसार, हरसिंगर को ‘उदासी का पेड़’ भी कहा जाता है क्योंकि इसके फूल सुबह के समय झड़ जाते हैं. पौराणिक कथाओं में इसे स्वर्ग से धरती पर लाए जाने का उल्लेख मिलता है. यह पौधा प्रकृति का अद्भुत उपहार है, जिसे देवताओं के साथ जोड़ा जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह पौधा इंसानों के जीवन में खुशियां और शांति लाने का प्रतीक है.
आयुर्वेद में हरसिंगर का महत्व
हरसिंगर के औषधीय गुण इसे खास बनाते हैं. डॉक्टर मनीष शर्मा बताते हैं कि इसके पत्ते, फूल, छाल और बीज सभी औषधीय तत्वों से भरपूर हैं. इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह सेवन करने से जोड़ों के दर्द और गठिया में राहत मिलती है. इसके फूलों का उपयोग तेल में मिलाकर बालों के झड़ने और स्किन प्रॉब्लम्स के इलाज में किया जाता है.
मलेरिया और वायरल बुखार में लाभकारी
डॉक्टर मनीष शर्मा के अनुसार, हरसिंगर का पौधा मलेरिया और वायरल बुखार में भी उपयोगी है. इसके पत्तों का काढ़ा मलेरिया और डेंगू जैसे बुखारों के इलाज में सहायक होता है. इसके अलावा, यह गले की खराश, सर्दी और खांसी में भी राहत प्रदान करता है. इसके फूल और पत्ते कफनाशक होते हैं. इस पौधे का नियमित उपयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है.
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FIRST PUBLISHED :
November 18, 2024, 13:14 IST