रामेश्वरम में "वर्टिकल लिफ्ट स्पैन ब्रिज" के डिजाइन पर उठे सवाल

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नई दिल्ली. हिंद महासागर में रामेश्वरम आइलैंड को मुख्य भूमि से जोड़ने वाले नए पंबन रेल ब्रिज पर ट्रेनों के संचालन में देरी हो सकती है. पुराने पंबन ब्रिज की जगह बनाए जा रहे 2.05 किलोमीटर लंबे इस ब्रिज के डिजाइन को लेकर कमिश्नर रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) ने सुरक्षा से संबंधित कुछ सवाल उठाए हैं. रेलवे मंत्रालय ने इन सवालों का जवाब देने के लिए एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन किया है.

जांच कमेटी छह सप्ताह में सौंपेगी रिपोर्ट
रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य (ब्रिज) की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में आरडीएसओ के प्रिंसिपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, साउथर्न रेलवे के चीफ ब्रिज इंजीनियर, निर्माणकर्ता पीएसयू के निदेशक और एक स्वतंत्र सेफ्टी विशेषज्ञ शामिल हैं. कमेटी को छह सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट तैयार करनी होगी, जिसके आधार पर सीआरएस सुरक्षा से संबंधित अंतिम मंजूरी देंगे. इसके बाद ही ब्रिज पर ट्रेनों के संचालन की तारीख तय होगी.

देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट स्पैन ब्रिज
पंबन ब्रिज भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट स्पैन ब्रिज है, जिसे समुद्र में बड़े जहाजों के गुजरने की सुविधा के लिए तैयार किया गया है. जब कोई जहाज समुद्री रूट से गुजरेगा, तो ब्रिज का 72.5 मीटर लंबा हिस्सा ऊपर उठ जाएगा. इस ब्रिज को इंटरनेशनल कंसल्टेंसी फर्म TYPSA ने यूरोपीय और भारतीय ब्रिज कोड के तहत डिजाइन किया है. इसे बनाने में 531 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

104 साल पुराने पंबन पुल की जगह यह नया पुल बनाए जाने से रामेश्वरम और पंबन के बीच रेल यातायात में सुधार होगा. हर साल लाखों तीर्थयात्री विश्व प्रसिद्ध रामनाथस्वामी मंदिर और धनुषकोडी जाते हैं. नया ब्रिज इन यात्रियों के लिए यात्रा को अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक बनाएगा. इसमें दोहरी रेल पटरियां हैं, जबकि पुराना पुल सिंगल लाइन वाला था.

ब्रिज की संरचना और क्षमता
नए पुल को अत्याधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल कंट्रोल सिस्टम से ऑपरेट किया जाएगा. यह सिस्टम ट्रेन के कंट्रोल सिस्टम से जुड़ा होगा, जिससे 58 किलोमीटर प्रति घंटे या अधिक की तेज हवाएं चलने पर स्वचालित अलर्ट जारी होगा और ट्रेन रुक जाएगी. यहां तक कि मैनुअल तरीकों से रास्ता क्लियर करने के बाद भी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी.

नए पुल के पिलर 35 मीटर गहरे हैं, जबकि इसके स्पैन की दूरी 18 मीटर है. यह दूरी पुराने पुल के मुकाबले अधिक है, जहां पिलर के बीच की दूरी 12 मीटर थी. यह ब्रिज 90 डिग्री पर खुलता है और इसके नीचे से समुद्री जहाज आसानी से गुजर सकते हैं.

आखिरी मंजूरी का इंतजार
रेल मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि सीआरएस द्वारा उठाए गए सवालों के समाधान के बाद ही ब्रिज के संचालन की अंतिम तारीख घोषित होगी. यह ब्रिज न केवल देश में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी सराहना की जाएगी.

Tags: Bridge Construction, Indian Railways, Rameshwaram News

FIRST PUBLISHED :

November 29, 2024, 08:05 IST

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