पीलीभीत. पीलीभीत टाइगर रिज़र्व की माला रेंज से रेस्क्यू किए गए बाघ को 5 दिन के मंथन के बाद गोरखपुर चिड़ियाघर में भेज दिया गया है. शुरुआती दौर में इसे जंगल में ही रिलीज करने की बात कही जा रही थी. लेकिन सुनने में सक्षम न होने के कारण इसे 15 दिन की निगरानी के लिए गोरखपुर चिड़ियाघर भेजा गया है. गोरखपुर चिड़ियाघर में कुछ दिन निगरानी के बाद ही अगला निर्णय लिया जाएगा. ऐसे में वन्यजीव प्रेमी इसे उम्रक़ैद की सजा मान रहे हैं.
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व में बाघों की संख्या बढ़ने के साथ ही साथ मानक और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष की घटनाएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं. बीते तकरीबन एक साल से PTR की माला रेंज से सटे इलाके बाघों के हमले की घटनाओं का हॉट स्पॉट बने हुए थे. तकरीबन सभी हमलों में हुई मौतों में कुछ न कुछ समानता देखी जा रही थी. ऐसे में कयास लगाए जा रहा था कि इन सभी घटनाओं के पीछे एक ही बाघ है.
15 दिन बाद होगा फैसला
बीते 9 सितंबर को जंगल की सीमा में 150 मीटर अंदर तक घुसे किसान को बाघ ने मौत के घाट उतार दिया था. जिसके बाद से ही बाघ को रेस्क्यू करने के लिए ऑपरेशन चलाया जा रहा था. 23 सितंबर को इसे माला रेंज की भैरो बीट से रेस्क्यू कर लिया गया था. जिसके बाद इसे पीलीभीत टाइगर रिजर्व के सेफ हाउस पर निगरानी के लिए रखा गया था. 4 दिन चले मंथन के बाद बड़े अधिकारियों ने इसे 15 दिन की निगरानी के लिए गोरखपुर चिड़ियाघर में 4 सदस्यीय कमेटी के सुपुर्द कर दिया है. इस निगरानी के बाद ही यह फ़ैसला हो पाएगा की बाघ को उम्रक़ैद होगी या फिर रिहाई मिलेगी.
4 विशेषज्ञ करेंगे बाघ की निगरानी
पूरे मामले पर अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि बाघ को बड़े अधिकारियों के निर्देश पर गोरखपुर चिड़िया घर भेज दिया गया है. जहां 4 विशेषज्ञ इस बाघ की निगरानी करेंगे. जिसके बाद ही आगे का फ़ैसला लिया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
September 27, 2024, 20:30 IST