हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के खात्मे के बाद ये माना जा रहा था कि शायद इजरायल ऑपरेशन ऑल आउट के तहत लेबनान में अपनी आर्मी उतार देगा. यह आशंका तब और भी बढ़ गई, जब इजरायल ने एक लाख से ज्यादा सैनिक लेबनान बॉर्डर पर तैनात कर दिए. तोप, टैंक और भारी मात्रा में आर्टिलरी बॉर्डर तक पहुंचा दी. इसके बावजूद नेतन्याहू आर्मी को लेबनान में जमीनी हमले की अनुमति नहीं दे रहे हैं. आखिर नेतन्याहू को किस बात का डर लग रहा है, उनके इरादे क्या हैं?
एक्सपर्ट के मुताबिक, इजरायल जितनी आसानी से लेबनान में एयरस्ट्राइक कर रहा है, उतनी आसानी से जमीनी हमले नहीं कर सकता. क्योंकि पूरा इलाका पहाड़ी और जंगली है. कई जगह हिजबुल्लाह ने लंबी-लंबी सुरंगें बना रखी हैं. और सबसे बड़ी बात, हिजबुल्ला के लड़ाके गुरिल्ला वॉर में माहिर हैं. आप जानकर हैरान होंगे कि गाजा में हमास आतंकियों के छिपने के लिए जो सुरंगें बनाई गई थीं, वो सुरंगें भी हिजबुल्लाह के इंजीनियरों ने ही तैयार करवाई थीं. इसलिए उन्होंने अपने लिए काफी मजबूत सुरंगों का जाल बिछा रखा है. गाजा में तो इजरायल की सेना अक्सर हमले कर देती थी, उसे इन सुरंगों का आइडिया था, लेकिन लेबनान में उसे इतना अंदाजा शायद नहीं होगा.
महीने-दो महीने में खत्म करनी होगी जंग
दूसरा, अगर इजरायल जमीनी हमले शुरू करता है, तो उसे सर्दियों से पहले यानी नवंबर या दिसंबर से पहले यह जंग हर हाल में खत्म करनी होगी, जोकि इतना आसान काम नहीं है. क्योंकि हिजबुल्लाह काफी मजबूत है. अगर इजरायल आर्मी उतारता है तो हिजबुल्ला के लड़ाकों के साथ वहां के लोग भी आ जाएंगे. साथ में लेबनान की आर्मी भी खड़ी होगी. इन सबसे एक साथ निपटना इजरायल की सेना के लिए काफी मुश्किल होगा. इसलिए इजरायल आर्मी उतारने से करता रहा है.
नए चीफ का ऐक्शन देखना चाहेगा इजरायल
एक तीसरी वजह है. जेरूशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक-इजरायल अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. वह देखना चाहता है कि हिजबुल्लाह का नया चीफ किस तरह रिएक्ट करता है. क्या वह शांति की कोशिश करता है, या फिर पलटवार की तैयारी करता है. अगर वह हमले का इरादा रखेगा, तो इजरायल आर्मी उतारने की योजना पर आगे बढ़ेगा. एक चौथी वजह है कि इजरायल अमेरिका को नाराज नहीं करना चाहता. अगर वह जमीनी हमला करता है तो अमेरिका इससे नाराज हो सकता है, क्योंकि वह बार-बार इजरायल को शांत रहने का संदेश दे रहा है. हालांकि, एक्सपर्ट इसके पीछे कहानी कुछ और ही मानते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
September 29, 2024, 22:26 IST