वकील बनने की चाहत में युवक ने पार की सारी हदें, कर बैठा बहुत बड़ी गलती

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चंडीगढ़ः हरियाणा से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक लड़के ने वकील बनने की चाहत में सारी हदें पार कर दीं. उसने इतनी बड़ी गलती कर दी कि मामला कोर्ट तक जा पहुंचा. नौबत यहां तक आ गई कि होने वाला वकील खुद ही कटघरे में खड़ा है. वह कोर्ट से अपनी सजा कम करने या बदलने की गुहार लगा रहा है. यह मामला हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट का है. जहां बीएएलएलबी का स्टूडेंट नकल करते पकड़ा गया था. उसे कोर्ट ने दो साल की सजा दी है, जिसमें वह दो साल तक कोई भी परीक्षा नहीं दे सकता.

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब यूनिवर्सिटी में बीएएलएलबी की पढ़ाई करने वाले एक छात्र रणदीप सिंह का नकल प्रकरण मामले में कोर्ट में केस चला. जिसमें उसे दो साल तक परीक्षा देने के लिए अयोग्य घोषित किया गया. इसके बाद युवक ने कोर्ट से सजा में राहत देने की गुहार लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने उसकी मांग खारिज कर दी. पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) के मामले में फैसले को बरकरार रखा है. मामले में याचिकाकर्ता यानी छात्र की ओर से वकील मोहित जग्गी ने तर्क दिए. तो वहीं, प्रतिवादी यानी पंजाब यूनिवर्सिटी की ओर से वकील सुभाष आहूजा ने तर्क दिए.

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बीए एलएलबी के छात्र को दिसंबर 2023 में ‘लॉ ऑफ कॉन्ट्रैक्ट’ का पेपर लिखते समय नकल करते हुए पकड़ा गया था. परीक्षा देते समय उसके पास से नोट्स मिले थे. मामले को लेकर न्यायमूर्ति जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने छात्र को दी गई सजा को कम करने से इनकार किया है. कोर्ट ने कहा कि कानूनी पेशा नैतिकता से चलाया जाता है. “याचिकाकर्ता एलएलबी का छात्र है और वह भविष्य में वकील बनेगा. कानूनी पेशा एक महान पेशा है. जो कि नैतिकता से संचालित होता है. इसलिए यह कोर्ट भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्ति के प्रयोग में छूट देना उचित नहीं समझता है.”

छात्र को विश्वविद्यालय कैलेंडर खंड II, 2007 के विनियम 5(ए) और 8 के तहत दोषी पाया गया था. जब उसके पास से उसकी खुद की हेंडराइटिंग में परीक्षा देते समय उसी विषय के नोट्स मिले. आंसर शीट में भी छात्र ने उसी से नकल करके उत्तर लिखे थे. उसने हाईकोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि दो साल तक उसे किसी परीक्षा के लिए अयोग्य घोषित करना ठीक नहीं है. क्योंकि यह लंबा समय है, ऐसे में उसका करियर प्रभावित होगा. हालांकि, पंजाब यूनिवर्सिटी ने तर्क दिया कि छात्र किसी भी सहानुभूति का हकदार नहीं है. क्योंकि उसे रंगे हाथों पकड़ा गया था और यह फैसला नियमों के अनुसार लिया गया था.

Tags: Chandigarh news, Haryana High Court, Haryana news

FIRST PUBLISHED :

November 18, 2024, 11:23 IST

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