महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना और एनसीपी के नेतृत्व में सरकार बनने जा रही है. मंत्रालय तय हो रहे हैं. गुणा-गणित बिठाया जा रहा है. लेकिन शपथग्रहण को लेकर पेच फंस गया है. कहा जा रहा है कि महायुति सरकार मशहूर वानखेड़े स्टेडियम में शपथ ले सकती है. ब्रेबॉर्न स्टेडियम, शिवाजी पार्क मैदान का भी नाम लिया जा रहा है. लेकिन इनमें से एक जगह ऐसी है, जहां शपथ लेने वाली सरकार कभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती. भले ही उसके पास कितना ही बहुमत क्यों न हो. इसीलिए देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे भी यहां शपथ लेने से डर रहे हैं.
हम बात कर रहे वानखेड़े स्टेडियम की. मुंबई में इसे क्रिकेट की जननी कहा जाता है. लेकिन शिवाजी पार्क मैदान कई राजनीतिक बदलावों का गवाह रहा है. यहां से कई बड़े आंदोलन हुए हैं. लेकिन एक बात ऐसी है, जो इस मैदान को अपशकुन बना देती है. शिवाजी पार्क मैदान में अब तक दो सरकारें शपथ ले चुकी हैं, लेकिन दुर्भाग्य से दोनों ही सरकारें अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाईं. वह भी तब, जब दोनों सरकारों के पास पर्याप्त संख्याबल था.
यह अजीब संयोग 1995, 2019 में सामने आया. लेकिन एक बार फिर जब महायुति सरकार के शपथग्रहण में इसका नाम आया, तो चर्चा शुरू हो गई. विपक्ष के कई नेता तो दबी जुबान से कहते नजर आए कि सरकार तो वैसे भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी, क्योंकि तीनों दलों के बीच टशन है. लेकिन शिवाजी पार्क मैदान पर एक बार शपथ तो ले लेने दीजिए, सरकार नहीं चलने वाली.
तब क्या हुआ था…
बात 1995 की है. विधानसभा चुनाव में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन को बहुमत मिला. शिवसेना-बीजेपी के पास पर्याप्त ताकत नहीं थी. लेकिन निर्दलियों ने समर्थन दिया और मनोहर जोशी के नेतृत्व में एक मजबूत सरकार बनी. लेकिन कुछ ही दिनों बाद पेच फंस गया. शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के आदेश पर मनोहर जोशी ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. मनोहर जोशी की जगह नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाया गया. वे भी सरकार का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. क्योंकि समय से पहले ही चुनाव कराने का फैसला हो गया. इस तरह पर्याप्त संख्या होने के बावजूद सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी. इसके बाद हालात ये हुए कि गठबंधन सरकार लगातार दो बार सत्ता से बाहर रही.
उद्धव-शरद पवार ने भी झेला दंश
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी. शिवाजी पार्क मैदान में ही शपथग्रहण आयोजित किया गया. सब बड़े खुश थे, क्योंकि एक दूसरे के राजनीतिक दुश्मन शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी साथ आए थे. लेकिन ढाई साल बाद उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई. सरकार ही नहीं गिरी, उद्धव ठाकरे की पार्टी दो फाड़ हो गई. एकनाथ शिंदे 40 विधायकों को लेकर अलग हो गए और बाद में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई. ये दो उदाहरण, बीजेपी-शिवसेना को डराने के लिए काफी हैं. इसलिए अब कहा जा रहा है कि शायद शपथ ग्रहण वानखेड़े स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
November 29, 2024, 16:44 IST