इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या 1 दिसंबर को है.
हरिद्वार. उत्तराखंड के हरिद्वार में हर माह लाखों की संख्या में लोग गंगा स्नान के लिए आते हैं. धर्म नगरी हरिद्वार में लोग मोक्ष पाने की कामना को लेकर यहां धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, हवन आदि कार्य करते हैं. वेदों पुराणों और शास्त्रों के अनुसार, हरिद्वार में गंगा स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं और मन में पवित्रता का वास होता है. मां गंगा का उद्गम गोमुख से माना गया है. गोमुख के बाद गंगा मां पहाड़ों से होकर समतल क्षेत्र हरिद्वार में प्रवेश करती हैं. हरिद्वार में मां गंगा का सबसे अधिक महत्व माना जाता है. हरिद्वार यानी हरि का द्वार (भगवान विष्णु का द्वार) यहीं पर बताया गया है. मार्गशीर्ष मास भगवान विष्णु को सबसे अधिक प्रिय है. ऐसे में मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. इस दिन गंगा स्नान से जहां सभी पाप खत्म होते हैं, वहीं शरीर के सभी रोग भी खत्म होने की धार्मिक मान्यता है.
इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या 1 दिसंबर को है. इस दिन हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा स्नान के महत्व की ज्यादा जानकारी देते हुए हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री ने लोकल 18 से कहा कि हरिद्वार से ही भगवान विष्णु तक पहुंचा जा सकता है. हर की पौड़ी पर स्नानादि करके बैकुंठ धाम तक पहुंचा जा सकता है. मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन यदि हर की पौड़ी पर गंगा स्नान किया जाए, तो भगवान विष्णु की कृपा से सभी रोग खत्म हो जाते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, हर की पौड़ी पर अमृत की वर्षा हुई थी, इसलिए अमावस्या के दिन यहां गंगा स्नान का विशेष महत्व है.
गंगा स्नान के समय करें मां गंगा के मंत्रों का जाप
पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि गंगा नदी में स्नान से दैहिक, दैविक प्रकार की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. अमावस्या के दिन जब गंगा में स्नान करें, तो मां गंगा के मंत्रों का उच्चारण करते रहें. वह बताते हैं कि दर्शन, मज़्जन और पान करने से कई प्रकार से लाभ प्राप्त होते हैं. मां गंगा के दर्शन करने मात्र से जीवन में आई सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं. मां गंगा में स्नान करने से शरीर पवित्र हो जाता है और मन में पवित्रता का वास होता है. वहीं गंगाजल का पान यानी आचमन करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 23, 2024, 16:09 IST
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