साक्षात भूल-भुलैया है छतरपुर का ये शहर, बारीगढ़-जुझार नगर की है दिलचस्प कहानी

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साक्षात भूल-भुलैया है छतरपुर का ये शहर, बारीगढ़-जुझार नगर की है दिलचस्प कहानी

छतरपुर: छतरपुर जिले में स्थित बारीगढ़-जुझार नगर एक ऐसा अनोखा शहर है जो अपने दो नामों के चलते हमेशा चर्चा में रहता है. यहां का हर इलाका जैसे भ्रम का पर्याय बन चुका है, जहां बस्ती बारीगढ़ के अंतर्गत आती है, वहीं बाजार और पुलिस थाना जुझार नगर के नाम से जाना जाता है. इस भ्रम की स्थिति का कारण इसके ऐतिहासिक और प्रशासनिक पक्ष हैं, जिन्हें समझने के लिए एक दिलचस्प यात्रा करनी पड़ती है.

जुझार सिंह और आल्हा-उदल का किला
बारीगढ़ और जुझार नगर की नामकरण यात्रा सदियों पुरानी है. स्थानीय निवासी रहमत अली के अनुसार, इस क्षेत्र के दो नामों का इतिहास राजाओं के जमाने से जुड़ा हुआ है. टीकमगढ़ के राजा जुझार सिंह की सीमाएं बारीगढ़ तक फैली थीं, और उनके नाम पर इस शहर को “जुझार नगर” कहा गया. वहीं, शहर के भीतर आल्हा-उदल का एक ऐतिहासिक किला है, जिसे बारीगढ़ कहा जाता है. “बारी” का अर्थ है “दीवार”, और इसी दीवार से घिरे किले के कारण इस इलाके को बारीगढ़ कहा जाता है.

जाने-माने लेखक डॉ. काशी प्रसाद त्रिपाठी की किताब बुंदेलखंड के दुर्ग में बारीगढ़ किले का विशेष उल्लेख है. इस किले के भीतर बसी बस्ती बारीगढ़ कहलाती है, जबकि उसके बाहर का इलाका जुझार नगर के नाम से पहचाना जाता है. इसके अलावा, आजादी से पहले बारीगढ़, चरखारी रियासत की तहसील थी, जो उसे एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व देती है.

प्रशासनिक स्थिति और भ्रम का कारण
इस क्षेत्र में भ्रम की स्थिति इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि यहां की प्रशासनिक संस्थाएं अलग-अलग नामों से जानी जाती हैं. उदाहरण के लिए, नगर पंचायत और अधिकांश सार्वजनिक सेवाएं जैसे कि अस्पताल और स्कूल बारीगढ़ नाम से चल रही हैं. लेकिन पुलिस थाना जुझार नगर के नाम से ही है, जिससे यहां आने वाले नए लोग अक्सर भ्रमित हो जाते हैं.

1980 तक, बारीगढ़ एक ग्राम पंचायत के रूप में जाना जाता था, लेकिन इस क्षेत्र के विकास को देखते हुए बारीगढ़ और जुझार नगर को मिलाकर एक नगर पंचायत बनाई गई. हालांकि यह नगर पंचायत अब आधिकारिक रूप से बारीगढ़ के नाम से ही जानी जाती है, फिर भी इस क्षेत्र के भीतर और बाहर के इलाकों के नामकरण से जुड़ी जटिलता को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है.

वर्तमान पहचान और स्थानीय सोच
अब जब यह शहर नगर पंचायत बन चुका है, तो अधिकतर लोग इसे बारीगढ़ के नाम से जानते हैं. बारीगढ़ की ओर जहां कई सार्वजनिक सेवाएं स्थापित हैं, वहीं जुझार नगर की सीमाएं बारीगढ़ के बाहर हैं. स्थानीय निवासी बारीगढ़ को एक सांस्कृतिक पहचान के रूप में मानते हैं, जबकि जुझार नगर का नाम टीकमगढ़ के राजा जुझार सिंह के इतिहास से जुड़ा है.

क्यों है दो नामों का असर
बारीगढ़ और जुझार नगर के नाम का असर सिर्फ स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था पर नहीं, बल्कि लोगों की सोच और शहर की सांस्कृतिक पहचान पर भी पड़ता है. बारीगढ़ के ऐतिहासिक किले से जुड़े “बारी” शब्द का प्रयोग इस शहर के लोगों के दिलों में इसे एक विशेष स्थान देता है. वहीं, जुझार नगर के नाम से जुड़ी राजशाही की यादें इस स्थान को एक अलग पहचान देती हैं.

Tags: Ajab Gajab news, Chhatarpur news, History of India, Local18, Madhyapradesh news

FIRST PUBLISHED :

October 27, 2024, 16:38 IST

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