साग-सब्जी छोड़ किसान भाई कर लें चना के इस किस्म की खेती, छप्पर फाड़ होगी कमाई

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चना की खती का वैज्ञानिक तरीका चना की खती का वैज्ञानिक तरीका

दीपक पांडेय, खरगोन: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में किसान लगभग 23 हजार हेक्टेयर भूमि पर चने की खेती करते हैं. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि चने की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को नई और उन्नत किस्मों का चयन करने के साथ ही वैज्ञानिक तकनीकों का पालन करना चाहिए. 15 अक्टूबर से 15 नवंबर का समय चने की बुआई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. इस दौरान सही किस्म और बीज उपचार से पैदावार में अच्छा इजाफा होता है, जिससे किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं.

उन्नत किस्में: अधिक उत्पादन और रोग प्रतिरोधकता की कुंजी
उप संचालक कृषि एमएस सोलंकी के अनुसार, खरगोन में चने की खेती के लिए आरवीजी-202, आरवीजी-203, आरवीजी-204, आरवीजी-205, जेजी-24 और जेजी-36 जैसी उन्नत किस्में बेहद फायदेमंद हैं. इन किस्मों का उपयोग करने से किसानों को अधिक उत्पादन प्राप्त होता है, क्योंकि ये किस्में रोग प्रतिरोधक होती हैं, जो फसल को प्रमुख रोगों से बचाती हैं. चने की इन नई किस्मों का उपयोग करने से न केवल पैदावार में वृद्धि होती है, बल्कि चने की गुणवत्ता भी बनी रहती है.

बीज उपचार का महत्व: स्वस्थ और मजबूत फसल की ओर पहला कदम
बीज उपचार चने की फसल में बंपर उत्पादन पाने का पहला और महत्वपूर्ण कदम है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, बीज को जैविक फफूंदनाशक ट्राईकोडर्मा विरडी से उपचारित करना चाहिए. इसके अतिरिक्त, 2 ग्राम थायरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज के हिसाब से या वीटावेक्स 2 ग्राम/किलो बीज का भी उपचार करना चाहिए. इसके बाद राइजोबियम और पीएसबी कल्चर को 5 ग्राम/किलो बीज की मात्रा में मिलाना चाहिए. यह मिश्रण पौधों को बेहतर पोषक तत्व उपलब्ध कराता है, जिससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और फसल का उत्पादन बढ़ता है.

बुआई का सही तरीका: नमी बनाए रखने के लिए ब्रॉड बेड फरो विधि अपनाएं
बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए चने की बुआई ब्रॉड बेड फरो या रिज फरो विधि से करना लाभकारी होता है. इस विधि में खेत में नमी बनी रहती है, जो चने की पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल स्थिति प्रदान करती है. इस विधि से पौधों को पर्याप्त पानी मिलता है और उत्पादन में वृद्धि होती है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि जिन खेतों में उकटा रोग का खतरा हो, वहां चने की बुआई से बचना चाहिए क्योंकि यह रोग फसल की जड़ों को प्रभावित कर सकता है.

खरगोन में चने की खेती और आर्थिक महत्व
खरगोन जिले में चने की खेती प्रमुख रूप से किसानों की आजीविका का महत्वपूर्ण हिस्सा है. कृषि विभाग के मुताबिक, किसानों को बेहतर पैदावार के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीज और उन्नत किस्में अपनानी चाहिए. वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करते हुए खेत की तैयारी, बुआई और सिंचाई करने से उत्पादन में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होती है.

खेती में उन्नत तकनीकों का महत्व
कृषि विभाग का मानना है कि सही किस्मों और वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल कर किसान न केवल चने की पैदावार में इजाफा कर सकते हैं, बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति में भी सुधार कर सकते हैं. इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा किसानों को बीज, खाद और अन्य खेती संबंधी आवश्यक वस्तुओं में रियायत देकर भी मदद की जा रही है, जिससे किसान अधिक से अधिक लाभ उठा सकें.

Tags: Agriculture, Local18, Madhyapradesh news

FIRST PUBLISHED :

October 26, 2024, 18:55 IST

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