Agency:News18 Madhya Pradesh
Last Updated:February 01, 2025, 11:32 IST
Sagar News: मध्य प्रदेश के सागर में पहली बार वृन्दावन के प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय भागवत कथा कह रहे हैं. इस मौके पर आयोजक ने कथा स्थल के बाहर भव्य झांकी सजाई है, जो वृंदावन का स्वरूप है. देखें खासियत...
सागर बालाजी मंदिर में सजी भव्य झांकी.
हाइलाइट्स
- सागर में वृंदावन की झांकी सजाई गई
- गिरिराज पर्वत की झांकी आकर्षण का केंद्र
- इस जगह इंद्रेश उपाध्याय सुना रहे कथा
सागर: सागर के धर्म श्री बालाजी मंदिर परिसर में इन दिनों गिरिराज पर्वत की झांकी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. रोजाना सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां परिक्रमा करने पहुंच रहे हैं. इस झांकी में भगवान श्रीकृष्ण अपनी उंगली पर पर्वत उठाए खड़े हैं तो साथ में राधा कुंड, श्याम कुंड, निधिवन, रमण रेती, दिव्य शिला, नंद गौशाला, गोपेश्वर महादेव के स्वरूप भी तैयार किए गए हैं.
यहां की खास बात ये कि गिरिराज पर्वत की परिक्रमा करने के लिए जो मार्ग बनाया गया है, उसमें वृंदावन रमण रेती से रज मंगवा कर रखी गई है, ताकि इस पर चलने वाले श्रद्धालुओं को वृंदावन की ही अनुभूति मिले. दरअसल, सागर में वृंदावन के प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित इंद्रेश जी उपाध्याय महाराज द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है, जिसको सुनने बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं.
कौन हैं इंद्रेश उपाध्याय?
इंद्रेश उपाध्याय वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक हैं. उनके सोशल मीडिया पर लाखों में फॉलोअर्स हैं. वह 13 साल की उम्र से कथा कर रहे हैं. उन्हें भागवत कंठस्थ है. वह पहली बार सागर आए हैं. इस अवसर पर कथा आयोजक अनुश्री शैलेंद्र जैन द्वारा कथा पंडाल के बाहर यह झांकी तैयार करवाई गई है, जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.
यहां 84 कोस के सभी देवता
परिक्रमा दर्शन को आ रहे श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्होंने अभी तक वृंदावन तो नहीं देखा है, लेकिन यहां आकर उन्हें वृंदावन का एहसास हो रहा है. वृंदावन के दर्शन हो रहे हैं. गिरिराज पर्वत को लेकर बनाई गई झांकियों के साथ लोग खूब सेल्फी लेते रील बनाते नजर आते हैं. गिरिराज पर्वत के महत्व को बताते हुए आचार्य शिवम शास्त्री जी ने कहा, सागर के जो लोग आर्थिक परेशानी या शारीरिक परेशानी की वजह से वृंदावन नहीं जा पाते हैं या गिरिराज जी की परिक्रमा नहीं कर पाते हैं, उनके लिए यह सौभाग्य का अवसर है कि गिरिराज जी खुद यहां पर आए हैं. 84 कोस की परिक्रमा में जो देवघर मिलते हैं, वे सभी इस झांकी में सम्मिलित किए गए हैं.
परिक्रमा का ऐसा फल
आगे बताया, जब इंद्र ने ब्रजवासियों पर 7 दिन 7 रात बारिश की थी, तब भगवान ने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गिरिराज को धारण किया था. उसके बाद दिव्या शीला है जो गोवर्धन परिक्रमा में मिलती है, जिस पर भगवान के चरण हैं. इसका महत्व ऐसा है कि जो चार परिक्रमा कर लेता है, उसे 84 कोस ब्रज मंडल की परिक्रमा का फल मिलता है. इसके अलावा राधा कुंड, श्याम कुंड, नंद गौशाला है.
Location :
Sagar,Madhya Pradesh
First Published :
February 01, 2025, 11:32 IST
सागर में वृंदावन, 84 कोस ब्रज मंडल की परिक्रमा, गिरिराज पर्वत, राधा कुंड और..