सिंदूर दान के समय क्यों ढका जाता है दुल्हन का चेहरा? जानें क्या है मान्यता!

4 days ago 2

X

सिंदूर 

सिंदूर 

Marriage Rituals: हिंदू धर्म में 16 संस्कार में से विवाह संस्कार बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस संस्कार में वर और कन् ...अधिक पढ़ें

  • Editor picture

पलामू. हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से विवाह संस्कार बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस संस्कार में वर और कन्या का गठबंधन होता है. विवाह संस्कार को इस धर्म में एक यज्ञ के समान दर्जा दिया गया है. इसका सबसे अंतिम रस्म सिंदूर दान का रस्म होता है. जिसके बाद वर कन्या नए जीवन का आरंभ एक साथ करते हैं. मगर क्या आप जानते है इस दौरान दुल्हन को परदे में क्यों रखा जाता है? आइए जानते हैं!

दरअसल, विवाह संस्कार के दौरान कई महत्वपूर्ण रस्में निभाई जाती है. इसमें सिंदूर दान का रस्म त्रेतायुग से चला आ रहा है. कहा जाता है पहली बार प्रभु श्री राम ने माता सीता की मांग में सिंदूर भरा था. इतना ही नहीं, माता पार्वती भी भगवान शंकर के नाम की सिंदूर लगाती थीं. मान्यता है कि सिंदूर अखंड सौभाग्य का प्रतीक है जिसे लगाने से जन्म जन्मांतर तक का साथ बंध जाता है.

परदे में क्यों होता है सिंदूर दान का रस्म
सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य परदे के पीछे ही होता है. विवाह का अंतिम रस्म सिंदूर दान का होता है. इस दौरान पहली बार दूल्हा दुल्हन एक दूसरे को देखत हैं. ब्राह्मणों की आज्ञा से इस दौरान सिंदूर दान किया जाता है. जिसे देखने का अधिकार केवल दूल्हा और दुल्हन को होता है. ये बातें पलामू जिले के मेदिनीनगर शहर रेड़मा स्थित काली मंदिर के पुजारी श्याम कुमार पांडे ने कही. उन्होंने बताया कि सिंदूर को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. इस दौरान पहली बार दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को देखते हैं और इसके साथ हीं एक दूसरे को पति-पत्नी के रूप में मानते है.

मंत्रों से सौभाग्य की कामना
उन्होंने कहा कि इस दौरान ब्राह्मण द्वारा एक मंत्र बोला जाता है. “ॐ सुमंगलीरियं वधूरिमां समेत पश्यत! सौभाग्यमस्यै दत्त्वा याथास्तं विपरेतन!!” अर्थात मंडप में मौजूद लोगों से वधू को सुमंगली और सौभाग्यवती होने और सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगता हूं. मैं तुम्हे अपना वधु मानकर सिंदूर दान कर अपना कर्तव्य पूरा कर रहा हूं. तुम्हारी हर विपदा और विपरित परिस्थिति में रक्षा करूंगा.

सिर के बीचों बीच क्यों होता है सिंदूर दान
पहली पार दूल्हा दुल्हन के सिर के बीचों-बीच मांग पर सिंदूर लगाता है. हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं जिसका नियंत्रण सिर से होता है. सिंदूर भरने से सूर्य मजबूत होता है जो कि मांग के पिछले हिस्से में विराजित होता है. जहां सिंदूर दान होता है वहां वो सबसे शीर्ष भाग होता है. जो कि मेष राशि का स्थान माना जाता है. जिसका स्वामी मंगल है और मंगल का रंग लाल होता है. इसलिए इसे शुभ माना जाता है.

Edited By- Anand Pandey

Tags: Ideal marriage, Local18

FIRST PUBLISHED :

November 19, 2024, 16:00 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article