सिंह मेंसन Vs रघुकुल: यह महज देवरानी और जेठानी की जंग नहीं, अदावत दशकों पुरानी

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रागिनी सिंह और पूर्णिया सिंह के बीच सिर्फ देवरानी और जेठानी की लड़ाई नहीं बल्कि यह सालों पुरानी सियासी जंग भी है.रागिनी सिंह और पूर्णिया सिंह के बीच सिर्फ देवरानी और जेठानी की लड़ाई नहीं बल्कि यह सालों पुरानी सियासी जंग भी है.

हाइलाइट्स

धनबाद में सिंह मेंसन Vs रघुकुल के बीच दशकों पुरानी है लड़ाईइस बार चुनावी मैदान में है रागिनी सिंह और पूर्णिमा सिंहगैंगवार और पॉलिटिक्स का कॉकटेल है धनबाद का यह जंग

धनबाद. झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे और आखिरी चरण का चुनाव 20 नवंबर को होना है. वहीं इससे पहले आज शाम झारखंड चुनाव प्रचार का दौरा थम जाएगा. ऐसे में आज चुनाव प्रचार के आखिरी अलग-अलग दलों के नेता लोगों को लुभाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं. वहीं इसी झारखंड में ऐसा शहर भी है, जहां चुनाव के दौरान वर्चस्व की लड़ाई चरम पर होती है. दरअसल हम बात कर रहे हैं धनबाद की, जहां कभी भी खून की बारिश हो जाती है. धनबाद शहर में झरिया विधानसभा एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां एक परिवार में 2 भाइयों के बीच बाहुबल और वर्चस्व को लेकर अक्सर खूनी जंग होती रहती है.

माना जाता है कि झरिया में जिसका झंडा बुलंद हो गया उसका कोलियरी और ट्रेड यूनियन पर कब्जा हो गया. एक ही परिवार के इस कब्जे और बाहुबल की लड़ाई में अब तक कई लोगों की जान चली गई है. अगर बात करें यहां की वर्तमान स्थिति की तो कांग्रेस की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह को कांग्रेस ने फिर से झरिया सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. धनबाद में पूर्णिमा सिंह के आवास का नाम रघुकुल है. पूर्णिमा सिंह के पति नीरज सिंह की हत्या का आरोप उनके ही बड़े भाई संजीव सिंह पर है. संजीव सिंह फिलहाल जेल में बंद हैं.

2 परिवारों के बीच वर्चस्व की लड़ाई

वहीं झरिया से बीजेपी की उम्मीदवार रागिनी सिंह के पति संजीव सिंह हैं. इनके घर का नाम सिंह मेंसन है. रागिनी सिंह के पति संजीव सिंह झरिया से विधायक थे. लेकिन, जेल जाने बाद उनकी सदस्यता चली गई और उनकी जगह उनके भाई नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह जीतकर विधायक बन गईं. सबसे दिलचस्प यह है कि झरिया का चुनाव दो पारिवारिक प्रतिद्वंदियों के वर्चस्व, कोयला खनन, ट्रेड यूनियन पॉलिटिक्स, विस्थापन, रंगदारी और गैंगवार की कहानी है.

‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में दिखी थी कहानी

बता दें, झरिया और धनबाद में गैंगवार की कहानी दशकों पुरानी है. बॉलीवुड फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में भी धनबाद और झरिया की हकीकत बयां करती कहानी दिखाई गयी थी. यहां राजनीति और अपराध का कॉकटेल दो परिवार के बीच के वर्चस्व को लेकर है, जिसमें एक है ‘सिंह मेशन’ और दूसरा रघुकुल. सिंह मेंशन का प्रतिनिधित्व झरिया में बीजेपी की प्रत्याशी रागिनी सिंह करती हैं तो वहीं दूसरी ओर रघुकुल को कांग्रेस उम्मीदवार पूर्णिमा नीरज सिंह प्रेजेंट करती हैं.  2019 तक यहां की स्थानीय राजनीति का केंद्र धनबाद का सिंह मेंशन था. लेकिन, पूर्णिमा के जीतने के बाद यह केंद्र झरिया के रघुकुल में शिफ्ट हो गया. इससे पहले 2014 में बीजेपी के टिकट पर संजीव और कांग्रेस के टिकट पर नीरज के बीच टकराव हुआ था, जिसमें नीरज को हार का सामना करना पड़ा था.

परिवार की कब हुई राजनीति में एंट्री?

जानकारी के अनुसार इस परिवार में राजनीति की शुरुआत यहां के दंबग नेता रहे सूरजदेव सिंह से हुई है. संजीव सिंह के पिता और रागिनी सिंह के ससुर सूरजदेव सिंह झरिया से चार बार विधायक रहे थे. सूरजदेव के निधन के बाद यहां से उनकी पत्नी कुंती देवी, उनके छोटे भाई बच्चा सिंह और उनके बेटे संजीव सिंह भी विधायक रहे. वहीं नीरज सिंह के पिता और पूर्णिमा सिंह के ससुर राजन सिंह और सूरजदेव सिंह दोनों आपस में भाई थे. दोनों परिवारों के अदावत के पीछे की एक बड़ी वजह पूर्णिमा सिंह के पति नीरज सिंह की हत्या भी मानी जाती है. नीरज सिंह के हत्या के आरोप में उनके चचेरे भाई और रागिनी के पति संजीव सिंह पिछले 7 साल 6 महीने से जेल में बंद हैं.

Tags: Dhanbad election, Gang war, Jharkhand predetermination 2024

FIRST PUBLISHED :

November 18, 2024, 13:49 IST

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