नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला सरपंच को काम पूरा होने में देरी के आधार पर पद से हटाने के संबंध में छत्तीसगढ़ के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए उदाहरण पेश करना चाहिए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने इसे औपनिवेशिक सोच करार दिया और उनकी बहाली के आदेश दिए। इसके साथ ही सरकार पर मुकदमेबाजी और उत्पीड़न के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
पीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रशासनिक अधिकारियों को, वास्तविक शक्तियों के संरक्षक और पर्याप्त रूप से समृद्ध होने के नाते, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में महिलाओं के नेतृत्व वाली पहल का समर्थन करने के लिए उदाहरण पेश करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें इस बात पर जोर देना चाहिए कि आर्थिक महाशक्ति बनने का प्रयास कर रहे एक राष्ट्र के रूप में, ऐसी घटनाओं का लगातार घटित होना दुखद है।