रोगों के निदान की जानकारी देते पौधा संरक्षण विशेषज्ञ डॉ नंदिशा
Begusarai News : बेगूसराय के किसान प्रो. रामकुमार सिंह ने बताया बीज का चुनाव करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि बीज ज्यादा ...अधिक पढ़ें
- News18 Bihar
- Last Updated : September 29, 2024, 22:25 IST
बेगूसराय : प्रदेश में अन्नदाता मुख्य रूप से दलहन की फसलों में सोयाबीन की खेती करते हैं. इसकी वजह दलहनी फसलों में सोयाबीन के तेल की खपत मूंगफली एवं सरसों के तेल के पश्चात सबसे अधिक होना हो सकता है. बिहार में सोयाबीन फसल के लिए शुष्क गर्म जलवायु इस साल रहने की वजह से किसानों ने भरपूर मात्रा में उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित रखा. अब फूल आने से 2 सप्ताह पूर्व वर्षा से सिंचाई की आवश्यकता पूरी हो गई है.
पौधों पर फलियां अधिक लगने के साथ ही इसमें कुछ रोगों का भी प्रकोप भी दिखाई दे रहा है, जिससे सोयाबीन की फसल भी खराब हो रही है. यह आप तस्वीरों में देख सकते हैं. रोग के नियंत्रण के बारे में डॉ. नंदिशा जानकारी दे रहे हैं. किसान दी जा रही जानकारी के अनुसार अपने खेतों में दवाइयों का उपयोग कर सकते हैं.
सोयाबीन में फली छेदक और तना छेदक रोगों का प्रभाव
बेगूसराय के किसान प्रो. रामकुमार सिंह ने बताया बीज का चुनाव करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि बीज ज्यादा पुराना न हो, क्योंकि एक साल के बाद इसकी अंकुरण क्षमता कम हो जाती है. इसके बाद जब पौधों में अंकुरण आता है तो इसमें तना छेदक का प्रभाव दिखने लगता है. इतना ही नहीं जब फल आने लगता है तो फली छेदक का भी प्रभाव दिखने लगता है. किसानों ने बताया इससे उत्पादन क्षमता काफी घट जाती और किसानों को नुकसान होता है.
इस दवाई के छिड़काव से मिल सकता है निजात
कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर बेगूसराय के पौधा संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. नंदिशा ने किसानों के दलहनी फसलों में लगने वाली समस्याओं का जवाब देते हुए लोकल 18 बिहार के जरीए बताया ऐसी समस्याओं में किस Mmnortin या fluvendavet नामक दवा का एक-एक के पानी में 0.5G दवा देकर छिड़काव करने से इन दोनों समस्याओं से निजात मिल सकता है. किसान भाई अपने खेतों में दवा छिड़काव के बाद देखरेख अवश्य करें.
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FIRST PUBLISHED :
September 29, 2024, 22:25 IST