सड़क निर्माण की मांग को लेकर चमोली के ग्रामीण भूख हड़ताल पर, नहीं हो रही सुनवाई

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चमोली जिला मुख्यालय में भूखहड़ताल पर बैठे डूमक गांव के ग्रामीणचमोली जिला मुख्यालय में भूखहड़ताल पर बैठे डूमक गांव के ग्रामीण

चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले के डूमक गांव में सड़क निर्माण की मांग को लेकर 1 अगस्त से क्रमिक अनशन कर रहे ग्रामीणों ने अब कलक्ट्रेट में आकर आमरण अनशन शुरु कर दिया है. जिसके चलते मंगलवार को अंकित भन्डारी और अनिरुद्ध सिंह सनवाल भूख हड़ताल में बैठ गए. ग्रामीण 1 अगस्त से कुंजौ-मैकोट से डूमक के लिए सड़क निर्माण की मांग करते हुए क्रमिक अनशन कर रहे थे. गौरतलब है कि ग्रामीणों द्वारा पहले भी सड़क निर्माण को लेकर आंदोलन किया जा रहा था लेकिन इसी वर्ष लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के आश्वाशन पर आंदोलन स्थगित किया गया था.

2010 एलॉयमेंट के तहत हो सड़क निर्माण
इस‌ बीच जिला अधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन भेजते हुए ग्रामीणों ने अपनी व्यथा और संघर्ष से अवगत कराया और मांग पूरी होने के बाद ही आंदोलन से हटने का ऐलान किया. ग्रामीणों ने सड़क निर्माण शुरू करने और 2010 के एलॉयमेंट के तहत‌ ही इसे बनाने की मांग की है. इस दौरान ग्रामीणों ने कहा कि जहां एक ओर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं दूसरी तरफ 8000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सीमांत गांव डूमक विकास की किरण राह देख रहा है.

18 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है
ग्रामीणों का कहना है कि गांव पहुंचने के लिए 18 किमी पैदल जाना पड़ता है. यहां राशन, सब्जी, एवं जरूरी सामान ढुलाई पर प्रति खच्चर 1000 रूपया खर्च करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में भी यह गांव 16वीं सदी का जीवन जीने के लिए मजबूर है. गावं के लोग आजादी के 75 साल बाद भी बीमार, दुर्घटना प्रभावितों और प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिलाओं को डंडी-कंडी व कंधों पर ढोकर अस्पताल पहुंचाते हैं.

2007-2008 में मिली सड़क को स्वीकृति अभी तक नही हुआ निर्माण
जनआंदोलनों के दबाव में 1996 में गोपेश्वर से कुंजौ-मैकोट तक सड़क स्वीकृत की गयी थी. विकास की गति इतनी धीमी थी कि प्रतिवर्ष 1 किमी से कम की गति से यह सड़क दस साल में पूरी की गयी. जनता के दबाव के चलते वर्ष 2007-2008 में कुंजौ-मैकोट से डूमक तक 32.43 किमी सड़क स्वीकृत की गयी, इसके लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने भी 2010 में अपनी स्वीकृति दे दी थी.

सभी औपचारिकतायें जिसमें भूगर्भीय जांच, सड़क का अलॉयंमेंट व लागत आदि कार्य तैयार किया गया, पर सिर्फ 9 किमी सड़क बनाने के लिए पी.एम.जी.एस.वाई ने 11 करोड़ से अधिक खर्च किया और 2013 में ठेकेदार ने काम छोड़ दिया.

दूसरी कंपनी को मिला ठेका
2015 में फिर रेट रिवाइज कर दूसरी कंपनी को ठेका दिया. उसने भी केवल 8 किमी सड़क बनायी जबकि सरकार के कागजों में यह 14.82 किमी दिखाई गयी है. 2019 में भ्रष्टाचार के खेल के लिए फिर सड़क का अलाइनमेंट बदल दिया और डूमक गांव को छोड़कर सीधे स्यूण से कलगोठ सड़क मिलाने की कोशिश की गयी. इतना सब होने के बाद क्षेत्रीय जनता लगातार आंदोलन करती रही फिर मजबूर होकर स्थानीय जनता माननीय उच्च न्यायालय की शरण में गई.

कोर्ट की भी नहीं सुनी
न्यायालय के निर्देशों की नहीं सुनी गई, इसलिए जनता को जनवरी 2024 में पुनः आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ा. लोकसभा चुनावों को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने मामले का संज्ञान लिया और सचिव ग्राम विकास विभाग उत्तराखंड को आदेश दिया गया कि 2010 के अनुसार शीघ्र सड़क निर्माण सुनिश्चित करें. लेकिन चुनाव के सम्पन्न होने के साथ ही यह प्रक्रिया भी रूक गयी. इसलिए नाराज ग्रामीण अब भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.

Tags: Local18, News18 UP Uttarakhand, Pauri Garhwal

FIRST PUBLISHED :

November 21, 2024, 13:44 IST

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