Indian Army : एयर डिफेंस किसी भी देश की ताकत का एक सबसे बड़ा हथियार है जो कि दुश्मन के मिसाइल, फाइयर एयरक्राफ्ट, हैलिकाप्टर और ड्रोन हमले से रक्षा करती है. भारतीय सेना के तीनों अंगों के पास अलग-अलग तरह के एयर डिफेंस सिस्टम हैं. एयर डिफेंस की ज़िम्मेदारी भारतीय वायु सेना के पास है जो कि मिसाइल, फाइटर जेट और मिलट्री ड्रोन को एंगेज करती है और अगर इनसे कुछ रह गया तो फिर भारतीय थलसेना पास एक पूरी रेंज है एयर डिफेंस गन की. एयर डिफेंस गन की कमी इजरायल को 7 अक्टूबर के ग्लाइडर अटैक के बाद जरूर महसूस हुई होगी.
हमास को इस बात का पता था कि इज़रायल के पास स्लो एरियल टारगेट को एंगेज करने के लिए एयर डिफेंस गन नहीं है और इसी का फ़ायदा उठाने की कोशिश की और वो सफल भी हो गया. इज़रायल की हथियारों की इंवेंटरी में एयर डिफेंस या एंटी एयरक्रफ्ट गन का कहीं ज़िक्र नहीं मिलता. अगर उनके पास ऐसा कुछ होता तो शायद हमास के ग्लाइडर हमले से वो अपने नागरिकों को बचा सकता था. भारत ने तो इस तरह के किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए अपने एयर डिफेंस गन को आज की तकनीक के साथ अपग्रेड कर लिया.
भारतीय सेना ने कर दिए अपने एयर डिफेंस गन अपडेट
भारत ने अपने ख़तरों को भांपते हुए एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के अलावा शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस गन के अलग-अलग वेरिएंट को शामिल किया हुआ है. हालांकि, 90 के दशक के बाद से कोई नया एयर डिफेंस या कहें एंटी एयरक्राफ़्ट गन की ख़रीद नहीं की है, लेकिन जितनी भी पुरानी गन है उसे समय के साथ-साथ अपग्रेड ज़रूर किया है. एयर डिफेंस गन की ख़ासियत यह है कि उसका रेट ऑफ़ फ़ायर इतना ज़बरदस्त होता है कि उसे मैनुअल, सेमि ऑटोमैटिक और रडार बेस्ड फुल ऑटोमैटिक तरीके से इस्तेमाल कर आसानी से किसी भी कम उंचाई पर उड़ने वाले दुश्मन एयरक्रफ्ट, हैलिकॉप्टर, ड्रोन और ग्लाइडर को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है.
भारतीय सेना की एयर डिफेंस गन की ताक़त
1- L-70 एयर डिफेंस गन
L-70 गन 1971 की जंग के तुरंत बाद भारत ने स्वीडन से ख़रीदी थी. इसके रेट ऑफ़ फ़ायर की बात करें तो ये एक मिनट में 300 राउंड फ़ायर करती है और इसका राउंड तकरीबन 1000 मीटर प्रति सेकेंड की रफ़्तार से टारगेट की तरफ़ बढ़ता है. इसकी रेंज 3 से 4 किलोमीटर है और इसे रडार के जरिए भी ऑपरेट किया जा सकता है. भारतीय सेना के पास L-70 की 50 से ज्यादा रेजिमेंट है और हर रेजिमेंट में 35 से ज़्यादा गन है. हाल ही में इन गनों को आज की तकनीक जैसे की दिन और रात दोनों समय ऑपरेट करने के लिए हाई रिजॉल्यूशन सेंसर, कैमरे और रडार सिस्टम से अपग्रेड किया गया है और ये पूर्वी लद्दाख से पूर्वोत्तर सहित पाकिस्तान के मोर्चे पर भी तैनात किया गया है…
2- जेडयू-23
ZU-23 रूसी गन है जो 80 के दशक की शुरुआत में रूस से ली गई थी. ये एक डबल बैरल गन है. हर बैरल से 1600 से 2000 राउंड प्रति मिनट फ़ायरिंग कर सकती है यानी एक गन 4000 राउंड फ़ायर कर सकती है. ये गन मैनुअल इस्तेमाल की जाती है. 2 से 2.5 किलोमीटर में आने वाले किसी भी संभावित टारगेट को छलनी कर देता है. भारतीय सेना के पास इसकी 7 से 8 रेजिमेंट है. हर रेजिमेंट में 24 गन है. चूंकि ये एक लाइट गन है तो इसे खींचकर भी ले जाई जा सकती है और इसके अलग-अलग पार्ट को अलग कर के 5-6 सैनिक किसी भी जगह पर असेंबल कर सकते है. सियाचिन और हाई ऑलटेट्यूड एरिया में इनकी तैनाती है.
3- शिल्का
शिल्का दरअसल ZU-23mm का ही दूसरा रूप है जो कि ट्रैक गाड़ी पर लगाई गई है और हर व्हिकल में ZU-23mm गन में 2 बैरल है यानी की ये सिस्टम एक मिनट में 8 हज़ार राउंड फ़ायर कर सकती है. चूंकि ये ट्रेक्ड गन सिस्टम है तो इसका इस्तेमाल किसी भी तरह के इलाक़ों में आसानी से किया जा सकता है. आम तौर पर जब भी टैंक का मूवमेंट होता है तो ये हर रेजिमेंट के साथ मूव करती है और दुश्मन के एरियल अटैक से अपने टैंकों की सुरक्षा करती है. भारतीय सेना के पास शिल्का की 8 के क़रीब रेजिमेंट है.
4- तंगुष्का
इस सिस्टम की खास बात ये है कि इसमें एयर डिफेंस गन के साथ-साथ मिसाइल भी लैस होती है. 90 के दशक में इसे रूस से ख़रीदी गई थी. इसकी मिसाइल 8 किलोमीटर तक किसी भी एरियल टारगेट को एंगेज करती है, तो इसकी गन 3.5 किलोमीटर तक मार करती है. ये गन ही भारतीय एयर डिफेंस गन सिस्टम में सबसे लेटेस्ट है.
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FIRST PUBLISHED :
November 29, 2024, 16:55 IST